एमपी में शिवराज सरकार करेंगे कैबिनेट का विस्तार, कई मंत्रियों की होगी छुट्टी!

भोपाल : मध्य प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जल्द कैबिनेट में विस्तार कर सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेताओं ने दिल्ली में इसे लेकर एक बैठक की है। बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार और विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों के पदों को लेकर चर्चा की गई है। मिली जानकारी के अनुसार बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा, प्रदेश भाजपा महासचिव हितानंद, भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इस बैठक में शामिल हुए। यह बैठक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष के आवास पर हुई और इसमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ राष्ट्रीय संगठन मंत्री शिव प्रकाश भी शामिल हुए।

सुलोचना रावत को मिलेगी मंत्रिमंडल में जगह

मध्य प्रदेश में 31 मंत्री हैं और अधिकतम 35 मंत्री हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिंडल में अनुसूचित जनजाति को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए पार्टी दो एसटी नेताओं सुलोचना रावत और गौरी शंकर बिसेन को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। आदिवासी नेता रावत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और जोबट विधानसभा से उपचुनाव जीता था। माना जा रहा है कि उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्री बनाया जा रहा है। वहीं बिसेन कैबिनेट रैंक के साथ ओबीसी कल्याण समिति के अध्यक्ष हैं। गोविंद सिंह राजपूत जैसे कुछ मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं। इनसे कुछ विभाग वापस लेकर नए मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है।

सूत्रों ने बताया कि कुछ मंत्रियों के पोर्टफोलियो में बदलाव भी किया जा सकता है, जबकि एक या दो मंत्रियों को मंत्री पद से हाथ भी धोना पड़ सकता है। बैठक में विभिन्न राज्य आयोगों में खाली पदों को लेकर भी चर्चा की गई और जल्द ही इन पदों पर भी राजनीतिक नियुक्तियां की जाएंगी। बैठक में आने वाले समय में खाली होने वाली तीन राज्यसभा सीटों को लेकर भी चर्चा हुई। भाजपा इसमें से दो सीटें जीत सकती है और पार्टी ने एक सीट से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को राज्यसभा भेजने का फैसला पहले ही कर लिया है। दूसरी सीट को लेकर अभी भी चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि इस सीट से पार्टी अनुसूचित जाति के किसी नेता को चुनावी मैदान में उतार सकती है।

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