2-3 माह मे बदलेगा शहर, इंदौर सफाई मॉडल का अध्ययन कर लौटने के बाद बोले मेयर

रायपुर : राजधानी को स्मार्ट सिटी की दौड़ में अव्वल लाने की कवायद के तहत रायपुर के पार्षद, एल्डरमैन और महापौर इंदौर, चंडीगढ़ और मोहाली से सफाई का पाठ पढ़ के वापस लौट चुके हैं। रायपुर के पार्षद एल्डरमैन और महापौर इस बात का अध्ययन करने इंदौर गए थे कि, आखिर कैसे इंदौर शहर लगातार 3 सालों से देश का सबसे साफ शहर रहा है? इसके साथ ही कैसे चंडीगढ़ और मोहाली ने सफाई के मामले में देश में शीर्ष स्थान बनाया? वहां के सफाई के मॉडल की स्टडी करने के बाद शहर के पार्षद महापौर और एल्डरमैन शहर वापस लौट चुके हैं। शहर लौटने के बाद महापौर एजाज ढेबर अपने इस दौरे का अनुभव साझा किया।

महापौर ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि, हमने वहां की सफाई को समझा कि आखिर क्यों इंदौर हर साल पहले नंबर पर आता है। महापौर ने बताया कि इंदौर में तीन टाइम सफाई होती है। वहां 19 जून है 50 वार्ड हैं और 600 कचरा गाड़ियां और 23 मैकेनाइज सिस्टम वाली गाड़ियां हैं। रायपुर शहर के लोगों को केवल गीला कचरा और सूखा कचरा के बारे में पता है, जबकि इंदौर में छह प्रकार के कचरे कलेक्ट किए जाते हैं। वहां एनजीओ खुद गाड़ी में बैठ कर जाते हैं और कचरा कलेक्ट करके लाते हैं। सेरोगेशन में सूखे कचरे के लिए जबरदस्त प्लांट भी बना हुआ है। एक यूनिट है जिसमें 300 महिलाएं काम करती हैं। इंदौर में 100% कचरों का निष्पादन हो रहा है।

ठेका मुक्ति पर जोर

एजाज ढेबर ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि इंदौर, चंडीगढ़ और मोहाली में कहीं भी ठेका प्रथा नहीं है। निगम स्वयं कचरों के निष्पादन का कार्य करती है। वहां के लोगों में पुलिस से ज्यादा डर निगम के लोगों का रहता है। यह ठेका प्रथा समाप्त करने की शुरुआत रायपुर में भी हो सकती है। इस संबंध में जल्द ही रायपुर के सभी पार्षदों से चर्चा की जाएगी।

दो-तीन महीने में होगा शहर में बदलाव

महापौर एजाज ढेबर ने बताया कि इस अध्ययन का सकारात्मक परिणाम जल्द ही निकल कर सामने आएगा और शहर को सफाई की दिशा में नंबर 1 बनाने के क्षेत्र में काम शुरू होगा। इसके परिणाम शहर के लोगों को दो-तीन महीने के अंदर नजर आने लगेंगे। दो-तीन माह में ही रायपुर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

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