आदिवासी समाज से हो सकता है देश का अगला राष्ट्रपति, चुनाव से पहले BJP की ट्राइबल कार्ड की तैयारी, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उइके सहित इन नामों की चर्चा

नई दिल्ली। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए देश में मंथन शुरू हो गया है। राष्ट्रपति चुनाव के तमाम समीकरणों के साथ ही भाजपा की नजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी है। ऐसे में भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है। ऐसा हुआ तो देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलेगा।

इन नामों की चर्चा

राष्ट्रपति चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुईया उइके, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, जुअल ओरांव, पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम चर्चा में हैं।

बता दें कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। 62 लोकसभा सीटों पर आदिवासी समुदाय प्रभावी है। गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटरों का वोट ही निर्णायक है। गुजरात में इसी साल और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में 2023 में चुनाव होना है।

भाजपा की नजर गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव पर

अभी तक भाजपा गुजरात में आदिवासियों को साधने में सफल नहीं रही। 182 सदस्यीय विधानसभा में 27 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। भाजपा को 2007 में इनमें से 13, 2012 में 11 और 2017 में 9 सीटें ही मिल सकीं। राज्य में करीब 14% आदिवासी हैं जो 60 सीटों पर निर्णायक भूमिका में। झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में 28 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं।

2014 में भाजपा इनमें से 11 सीटें और 2019 में 2 सीटें ही जीत सकी। मप्र की 230 सीटों में से 84 पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। 2013 में भाजपा ने इनमें से 59 सीटें जीतीं, जो 2018 में 34 रह गईं। वहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटरों का वोट ही निर्णायक है।