लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आजम खान और अखिलेश यादव की दूरियां काम नहीं हो रही है। दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की दूरियां उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रमुख विपक्षी दल के रूप उनकी भूमिका पर असर डाल सकता है। क्योंकि सत्ताधारी पार्टी के लिए सशक्त विपक्षी दल का होना किसी भी सदन के लिए परम आवश्यक है।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जेल से अंतरिम जमानत पर छूटने के बाद विधानभवन आए और विधानसभा सदस्य के तौर पर शपथ ली लेकिन उन्होंने सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया। इस बीच उन्होंने एक बार फिर इस बात से इंकार किया कि वह अखिलेश यादव से नाराज हैं।
आजम खान सदन शुरू होने से पहले ही चले गए: आजम खां शपथ लेकर विधानसभा के मंडप में दाखिल हुए। तब साढ़े 10 बजे थे और तब तक सदन नहीं बैठा था। वह गलियारे से होते हुए विधानसभा लाबी में आकर कुछ देर बैठे। थोड़ी देर बाद वह लिफ्ट से नीचे आए और लखनऊ में अपने आवास पर चले गए।
अब्दुल्ला आजम व शिवपाल ने नहीं किया विरोध: शिवपाल यादव व अब्दुल्ला आजम सदन में आए, लेकिन सपा के सदस्यों द्वारा राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया। शिवपाल भी सपा विधायक हैं। सपा के सदस्य व पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने आजम खान के सदन में न आने के सवाल पर कहा कि उनकी तबीयत खराब थी, इसलिए वह शपथ लेने के बाद चले गए, लेकिन उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम सदन में रहे।
10 मिनट फोन पर बात हुई: आजम खान ने माना की उनकी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में ही फोन पर करीब 10 मिनट बात हुई लेकिन उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया।
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