
पुरी। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर 108 घड़े पानी से स्नान और श्रंगार के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए एकांतवास में चले जाते हैं भगवान जगन्नाथ 1 जुलाई को रथयात्रा के लिए बाहर आएंगे। परंपरा के अनुसार वे बीमार’ पड़ जाते हैं और एक पखवाड़े तक एकांत में रहते हैं।

यह भी पढ़ें
किरण बेदी को नहीं मिली माफी- विवादित बयान के खिलाफ कोर्ट जाएगी SGPC
जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा के अनुसार केवल सेवकों को मंदिरों के अंदर जाने की अनुमति है, जहां भगवान बीमार पड़ने के बाद विश्राम करते हैं। मिश्रा ने कहा कि देवताओं को बीमार पड़ने पर ‘अनासर घर’ नामक कमरे में एकांत में रखा गया। महल के राज वैद्य के निर्देश पर उनका इलाज जड़ी-बूटियों, फूलों और जड़ के अर्क से किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवान बालभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का ठीक उसी तरह से उपचार किया जाता है, जैसा किसी मनुष्य का बीमार पड़ने पर किया जाता है।
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्राम, कू और वॉट्सएप, पर…