रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य के चार जगह के स्मारक को संरक्षित करने के लिए संस्कृति और पुरातत्व विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इनमें मदकूद्वीप (बिलासपुर), तर्रीघाट (दुर्ग), महेशपुर (अंबिकापुर) और डमरू (बलौदाबाजार) को शामिल किया गया हैं। बता दें कि राज्य बनने से पहले 58 जगहों को संरक्षित किया गया था। लेकिन, पिछले 22 साल के दौरान विभाग एक भी जगह को संरक्षित नहीं कर पाया।


पहले से संरक्षित 58 स्मारकों में कुलेश्वर मंदिर राजिम, शिव मंदिर चंद्रखुरी, सिद्धेश्वर मंदिर पलारी, चितावरी देवी मंदिर धोबनी, मालवी देवी मंदिर तरपोंगी और प्राचीन मंदिर ईंट नवागांव प्रमुख हैं।
मदकूद्वीप- शिवनाथ नदी के बीच में मदकूद्वीप पर गणेश प्रतिमा के साथ 11वीं शताब्दी के शिव मंदिरों के प्राचीन अवशेष मिले हैं। मंदिरों में उमामहेश्वर, गरुड़ारूढ़ लक्ष्मीनारायण स्पार्तलिंग प्रमुख हैं।
तर्रीघाट- पुरातत्व विभाग की खुदाई में खारुन नदी के तटीय इलाके में कई पुराने टीले और प्राचीन नगरों के अवशेष व शिलालेख मिला है।
डमरू- बलौदाबाजार से लगभग 14 किमी दूर डमरू गांव में पुरातत्व विभाग की खुदाई में भगवान बुद्ध का पदचिन्ह समेत कई तरह की मूर्तियां मिली है।
महेशपुर- अंबिकापुर से 45 किमी दूर महेशपुर में मौर्यकालीन नाट्यशाला, अभिलेख मिले थे। यहां प्राचीन टीला, शैव, वैष्णव, जैन धर्म की कलाकृतियां हैं।
“राज्य बनने के बाद पहली बार चार जगहों पर संरक्षित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा।”
-विवेक आचार्य, डायरेक्टर, संस्कृति व पुरातत्व विभाग