कैदी को राज्य सरकार देगी साढ़े 7 लाख रूपये मुआवजा, जानिए क्या है वजह..?
कैदी को राज्य सरकार देगी साढ़े 7 लाख रूपये मुआवजा, जानिए क्या है वजह..?

बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने एक कैदी के मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह उसे साढ़े 7 लाख रूपये का मुआवजा दे। दरअसल इस कैदी को जेल में 7 साल की जगह 10 साल से अधिक समय बिताना पड़ा।

दुष्कर्म के मामले में हुई थी सजा

यह मामला जशपुर जिले के फरसाबहार थाने के तमामुंडा निवासी भोला कुमार का है। उसे दुष्कर्म के एक मामले में निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ वह हाईकोर्ट में अपील पर गया। हाईकोर्ट ने सन् 2018 में उसकी सजा घटाकर 7 साल कर दी। सात साल बाद रिहाई नहीं होने पर अंबिकापुर जेल में रहते हुए दोषी भोला कुमार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर बाहर आने की गुहार लगाई।

सुको ने मामले में लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट में पत्र को स्पेशल लीव पिटिशन के रूप मे स्वीकार किया गया। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से उसका प्रकरण तैयार करने के लिए कहा। प्राधिकरण ने अंबिकापुर जेल अधीक्षक से दस्तावेज प्राप्त किए। इसमें पुष्टि हुई कि हाईकोर्ट ने उसकी सजा घटाकर 7 साल कर दी है लेकिन यह अवधि पूरी हो जाने के बाद भी उसकी रिहाई नहीं की गई है।

प्राधिकरण द्वारा जानकारी मांगे जाने पर अंबिकापुर जेल प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी हासिल की। 9 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। जेल प्रशासन ने सफाई दी कि हाईकोर्ट के फैसले की सूचना उसे नहीं मिली थी। साथ ही माना कि हाईकोर्ट ने सजा के साथ 15 हजार रुपये का जुर्माना भी दोषी पर किया था। जुर्माना नहीं पटाने की स्थिति में उसे अधिकतम एक वर्ष तक और कैद रखा जा सकता था।

सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2018 को जारी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने को गंभीर लापरवाही माना। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन है। तय सजा से अधिक अवधि तक जेल में रखने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 7.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही इस लापरवाही के लिए दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश भी दिया है।

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