पेंशन से होगी 16 लाख रूपये की वसूलपेंशन से होगी 16 लाख रूपये की वसूली

महासमुंद। जिले के बसना बीईओ कार्यालय में शिक्षकों द्वारा स्वयं के सामान्य भविष्य निधि खाते GPF से बीईओ और लेखापाल की मिलीभगत से गलत तरीके से राशि निकाले जाने का मामला पूर्व में उजागर हुआ था। इन्हीं में शामिल एक शिक्षक से रिटायरमेंट के बाद 16 लाख रूपये की वसूली का आदेश हुआ है। बता दें कि एक RTI एक्टिविस्ट की लगातार शिकायतों के बाद भी विभाग को इस कार्रवाई में 7 साल लग गए।

मिलीभगत से निकालते रहे GPF की रकम

दरअसल सरकारी नौकरी के दौरान कर्मचारी के वेतन से एक निश्चित रकम काटकर GPF याने सामान्य भविष्य निधि में जमा की जाती है। सामान्य तौर पर शिक्षकों को जरुरत के वक्त खंड शिक्षा अधिकारी की अनुशंसा के आधार पर लेखापाल द्वारा GPF की राशि निकाल कर दी जाती है। साल भर में एक या दो बार ही यह रकम निकाली जा सकती है। मगर एक दौर था जब शिक्षक BEO और बाबुओं की मदद से एक साल में कई बार GPF की राशि निकाल लेते थे। इसी का फायदा बसना विकासखंड के एक सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक महेंद्र कुमार महापात्र ने उठाया।

35 बार निकाली GPF से राशि

अधिकारी कर्मचारी की मिलीभगत से शिक्षक महेन्द्र कुमार महापात्र ने अपने सेवाकाल में 10 – 20 बार नहीं बल्कि पूरे 35 बार निकाली, जबकि नियम-कायदों का पालन करें तो ऐसा संभव ही नहीं है। आश्चर्य की बात तो ये है कि महेंद्र कुमार का GPF खाता ऋणात्मक होने के बावजूद BEO कार्यालय से उसे रकम निकाल कर दिया जाता रहा। इसका मतलब यह हुआ कि महेंद्र के GPF खाते में रूपये नहीं होने के बावजूद विभाग के द्वारा उसे रकम दी जाती रही। ऐसा बिना मिलीभगत के कैसे संभव है ?

जांच में गड़बड़ी हुई उजागर

प्रधानपाठक महेन्द्र कुमार महापात्र द्वारा स्वयं के सामान्य भविष्य निधि खाते से ऋणात्मक राशि आहरण करने की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता विनोद दास ने कलेक्टर महासमुन्द एवं अनुविभागीय अधिकारी(रा) सरायपाली से की गई। जिसमें कोषालय अधिकारी महासमुन्द ने उप कोषालय अधिकारी सरायपाली से जांच करवाकर जांच प्रतिवेदन कलेक्टर कार्यालय में 2015 में प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि महेंद्र ने अपने GPF खाते में रकम शून्य होने के बावजूद समय-समय पर कुल 11लाख 82 हजार 313 रूपये का आहरण कर लिया।

शिक्षक से वसूली के आदेश मगर बाकी को…

इस मामले में महासमुन्द के तत्कालीन कलेक्टर उमेश अग्रवाल ने सचिव, छत्तीसगढ शासन स्कूल शिक्षा विभाग को 02 जुलाई 2015 को प्रतिवेदन भेजा। जिसमें बताया गया कि महेन्द्र कुमार महापात्र के द्वारा 11, 82, 313 रूपये नियम विपरीत शासकीय धनराशि छलपूर्वक आहरित किया गया है, एवं इस कार्य में बीईओ बसना, लेखापाल, जिला शिक्षा अधिकारी और स्थापना लिपिक की संलिप्तता है। इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई।

प्रतिवेदन के आधार पर अवर सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग ने साल भर बाद 23 जुलाई 2016 को जिला शिक्षा अधिकारी को महेन्द्र कुमार महापात्र से 11,82,313 रूपये वसूली करने का आदेश दिया। इस आदेश के परिपालन में 18 अगस्त 2016 को जिला शिक्षा अधिकारी ने बीईओ बसना को महेन्द्र महापात्र से 11, 82, 313 रूपये वसूली करके जमा करने का आदेश दिया।
गौर करने वाली बात ये है कि शिक्षा विभाग ने वसूली का आदेश तो दिया मगर इस गड़बड़ी में सहभागिता निभाने वाले दूसरे अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की।

वसूली में भी दी गई छूट

वसूली के आदेश के 3 साल बाद बसना बीईओ ने महेन्द्र कुमार महापात्र से मधुर संबंध निभाते हुए 11,82,313 रूपये वसूली करने के बजाय 23 दिसम्बर 2019 को महेंद्र कुमार से मात्र 97 हजार 470 रूपये चालान के माध्यम से जमा करवा दिया। बताया जाता है कि इतने सालों में महेंद्र कुमार पदोन्नत होकर प्रधान पाठक बन चुके थे।

शिकायत पर हुई जांच और रकम बढ़कर हुई इतनी…

प्रधान पाठक महेंद्र कुमार से पूरी रकम की वसूली नहीं किये जाने की उच्च स्तरीय शिकायत की गई, तब जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द ने जांच की, हालांकि तब तक महेन्द्र कुमार महापात्र के जीपीएफ खाते में जो ऋणात्मक रकम 11,82,313 रूपये थी वह ब्याज सहित बढ़कर 16 लाख 21 हजार 472 रूपये हो गई है, उसकी वसूली के संबंध में 16 नवम्बर 2021 को संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को प्रतिवेदन भेजा गया।

सेवानिवृत्त हो गए तब वसूली का आदेश

इधर लोक शिक्षण संचालनालय से अगले साल 18 अप्रैल 2022 को जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द को आदेश जारी हुआ, जिसमें सेवानिवृत्त प्रधानपाठक महेन्द्र कुमार महापात्र से 16,21,472 रूपये वित्त विभाग के प्रक्रिया के तहत वसूली करने का लेख किया गया है।

कोषालय करेगा पेंशन से वसूली

जिला शिक्षा अधिकारी महासमुन्द ने 06 मई 2022 को जिला कोषालय अधिकारी महासमुन्द, उप कोषालय अधिकारी अधिकारी सरायपाली, बीईओ बसना को सेवानिवृत्त प्रधानपाठक महेन्द्र कुमार महापात्र से 16,21,472 रूपये जो शेष है। उसकी वसूली कर कार्यवाही से कार्यालय को अवगत कराने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि सामान्य भविष्य निधि खाते मे रकम ऋणात्मक होने पर यदि शासकीय सेवक नौकरी में है तो उसके वेतन से कटौती किया जाना है, लेकिन शासकीय सेवक सेवानिवृत्त हो तो पेंशन नियम 65 एवं 66 के अनुसार पेंशन से वसूली की कार्यवाही की जाती है चूंकि महेन्द्र कुमार महापात्र सेवानिवृत्त हो गये हैं, इसलिए उनके पेंशन से वसूली की जाएगी। मगर एक सवाल अब भी खड़ा हुआ है कि इस तरह की गड़बड़ी में लिप्त तत्कालीन DEO, BEO, लेखापाल और अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ?

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