रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज वन अधिकार अधिनियम, 2006 के प्रदेश में क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने सामुदायिक वन अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के अंतर्गत वितरित वनों के प्रबंधन के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के दावों के लिए विशेष अभियान चलाने कहा। मुख्यमंत्री ने इसके लिए ग्रामसभा जागरूकता अभियान भी संचालित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में हुई बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी एवं प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन तथा अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू भी शामिल हुए।
समीक्षा बैठक में आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के सचिव डी.डी. सिंह ने बताया कि प्रदेश के वनांचलों में अब तक चार लाख 54 हजार 415 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र, 45 हजार 847 सामुदायिक वन अधिकार पत्र और 3731 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। इसके तहत क्रमशः तीन लाख 70 हजार हेक्टेयर, एक लाख 98 हजार हेक्टेयर और 15 लाख 32 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन वनवासियों को प्रदान की गई है। उन्होंने जानकारी दी कि इनमें से तीन लाख 81 हजार 667 व्यक्तिगत, 36 हजार 674 सामुदायिक वन अधिकार तथा 2965 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्रों को राजस्व एवं वन विभाग के अभिलेखों में दर्ज किया जा चुका है। व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र के रूप में वितरित एक लाख 83 हजार 604 पट्टों की करीब पांच लाख 15 हजार हेक्टेयर रकबे को भूइंया पोर्टल में अपलोड भी किया जा चुका है।
बैठक में बताया गया कि वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह (विशेष संरक्षित जनजाति) के 23 हजार 643 हितग्राहियों को व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र प्रदान किए गए हैं। इन जनजातियों के लोगों को 1758 सामुदायिक वन अधिकार पत्र और 106 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र भी दिए गए हैं। अधिनियम के तहत प्रदेशभर में 17 हजार 209 विधवा, अविवाहित और तलाकशुदा आदिवासी महिलाओं को भी व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि वन अधिकार पत्रों की त्रुटियों को दूर करने और सभी जिलों में एकरूपता लाने के लिए सभी जिलों को मॉडल अधिकार पत्र का प्रारूप जारी किया गया है।