गुलाम नबी आजाद

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर कांग्रेस में बड़ा फेरबदल हुआ है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद गुलाम नबी आजाद ने उस पद से इस्तीफा दे दिया है। अभी तक कारण स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस नेता ने कुछ घंटे बाद ही पार्टी द्वारा दिए गए पद से इस्तीफा क्यों दिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

सोनिया की इच्छा के खिलाफ क्यों गुलाम नबी?

वैसे कांग्रेस की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी चाहती थीं कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में लड़े, इसी वजह से उन्हें ये बड़ा पद दिया गया था, लेकिन उस पद को स्वीकार कर फिर इस्तीफा देने की वजह से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो चुका है। क्या जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है? क्या गुलाम नबी आजाद किसी बात से खफा चल रहे हैं? सवाल कई हैं, लेकिन जवाब या तो गुलाम नबी आजाद दे सकते हैं या पार्टी कोई बयान जारी करेगी।

बगावत की कोशिश या कुछ और?

यहां ये जानना जरूरी हो जाता है कि कई मुद्दों को लेकर गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के मतभेद सामने आते रहे हैं। फिर चाहे वो अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर बात रही हो या फिर कुछ मुद्दों पर पार्टी के स्टैंड पर। गुलाम नबी आजाद तो उस जी 23 का भी हिस्सा हैं जो पार्टी में कई बडे़ परिवर्तन की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.

कांग्रेस के जम्मू-कश्मीर अभियान समिति के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने पार्टी द्वारा नामित किए जाने के बाद अपना पद छोड़ दिया और पार्टी नेतृत्व को इस फैसले से अवगत कराया। यह खबर उनके करीबी सूत्रों के जरिए सामने आई है। इस पर अभी दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा पार्टी के लोगों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि पार्टी में प्रमुख नियुक्तियों पर उनसे सलाह ली जाती थी। वह पार्टी मंचों में काफी सक्रिय भी थे।

दोबारा राज्यसभा भेजने में नजरअंदाज किए जाने से आजाद नाराज चल रहे थे। यह मुद्दा तब सामने आया है, जब पार्टी को नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करनी है। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर स्टेट यूनिट के पदाधिकारियों को नियुक्त किया है, जिसमें विकार रसूल वानी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। गुलाम अहमद मीर के जेकेपीसीसी अध्यक्ष के पद से हटने के बाद यह पद खाली हो गया था।

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