रायपुर। तीन दिनों तक चलने वाले छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीजा-पोरा पर्व का उत्साह अब जोरों पर दिखाई पड़ रहा है। बाजारों में रौनक है और तिजहारीन माता-बहनें, किसान भाई और आमजन इस त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ मनाने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं। पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी पोरा के मौके पर 27 अगस्त को सुबह 10 बजे से मुख्यमंत्री निवास में भव्य उत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए यहां जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।

ठेठ पारंपरिक अंदाज में मुख्यमंत्री निवास के प्रांगण को सजाया जा रहा है। यहां का पूरा माहौल उत्सव के अनुरूप रंग- बिरंगा और हमारी छत्तीसगढ़िया संस्कृति की झलक दिखाता हुआ नजर आ रहा है। अनेक नंदी बैल इस प्रांगण में जगह- जगह सजे नजर आ रहे हैं, जो समृद्धि और खुशहाली का एहसास दिला रहे हैं। सूपा और टोकनी पर रंगों की खूबसूरत कारीगरी के साथ इन्हें जगह-जगह बेहद निराले अंदाज में सजाया गया। रंग-बिरंगे तोरण और पारंपरिक कलाकारी, उत्सव की थीम के अनुरूप यहां की खूबसूरती को बढ़ा रही है।

करूभात खाकर तिजहारीनें करेंगी रस्म पूरा

तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से तीजहारिन माताओं एवं बहनों को मुख्यमंत्री निवास के लिए आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर बहनों द्वारा करूभात खाने की रस्म पूरी की जाएगी और छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों का आयोजन किया जाएगा।

खेती से जुड़ा पर्व है पोरा

छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशी पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में इस पर्व में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़चीला, गुलगुला, भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व के अवसर पर बैलों की दौड़ भी आयोजित की जाती है।

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