हाईकोर्ट

बिलासपुर। दुर्ग जिले में वनरक्षक के निलंबन को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सचिव वन विभाग, सीसीएफ और डीएफओ के साथ ही मुख्य वन संरक्षक को नोटिस जारी किया है। आरोप है कि CCF ने अपने अधिकार से बाहर जाकर निलंबन की कार्रवाई की।

इस संबंध में दी गई जानकारी के मुताबिक प्रियंका रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता दुर्ग, मुख्य वनसंरक्षक दुर्ग कार्यालय में वन रक्षक के पद पर कार्यरत है। 4 अगस्त को उसे गैरहाजिर रहने का आरोप लगाते हुए CCF द्वारा निलंबित कर दिया गया। निलंबन अवधि में उसका मुख्यालय राजनांदगांव वनमण्डल कर दिया गया। इस सस्पेंसन को नियम विरुद्ध बताते हुए प्रियंका ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं सन्दीप सिंह के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की।
याचिका में यह उल्लेख किया गया है कि वनरक्षक का नियुक्तिकर्ता अधिकारी डीएफओ होता है और वर्तमान में उसे सीसीएफ कार्यालय में संलग्न किया गया था। यदि उसके खिलाफ कोई भी कार्यवाही करनी है, तो इसका अधिकार DFO को हैं, न कि सीसीएफ को।

…उस माह का पूरा मिला वेतन

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि सीसीएफ याचिकाकर्ता से दुर्भावना रखते हैं, और उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है। वहीं जो आरोप लगाए गए हैं कि वह कार्यालय से अनुपस्थित रहती हैं, पूर्णतः गलत है। चूंकि याचिकाकर्ता रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता विंग में कार्यरत हैं, इसलिए ज्यादातर उनकी उपस्थिति फील्ड में रहती है साथ ही साथ जुलाई माह में उसे अनुपस्थित बताया जा रहा है, जबकि जुलाई माह का पूर्ण वेतन उसे दिया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह अनुपस्थित नहीं रही हैं। चूंकि याचिकाकर्ता ने सीसीएफ के खिलाफ दुर्भावना का आरोप भी लगाया है, इसलिए उन्हें नाम से भी पार्टी बनाया गया है।

याचिका में एक मामले का उल्लेख करते हुए तर्क दिया गया है कि पूर्व के एक मामले में, जिसमें कि कमिश्नर बिलासपुर ने तृतीय वर्ग कर्मचारी को निलंबित कर दिया था। इसके बाद उसने उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी और यह उल्लेख किया था कि शासन की नीति के अनुसार चतुर्थ एवं तृतीय वर्ग के कर्मचारी के लिए किसी भी कार्यवाही का अधिकार व शक्ति कलेक्टर को दिए गए हैं, न कि कमिश्नर राजस्व को। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 27/03/2015 याचिका क्र. डब्लूपीएस-6590 / 2014 में यह उल्लेख किया था कि कमिश्नर राजस्व को चतुर्थ एवं तृतीय वर्ग के कर्मचारियों पर कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है।

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