नान….एक घोटाला, तीन जांच एजेंसी, तीन जगह दायर है केस !
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0 हाई कोर्ट, स्पेशल कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में अलग अलग मामलों पर प्रकरण है, एसीबी, ईओडब्ल्यू और ईडी भी इन्वाल्व

विशेष संवादाता, रायपुर
राज्य का सबसे विवादित घोटाला नान घोटाले से जुड़े अधिकारीयों और जाँच अफसरों(जो बाद में आरोपी बन गए)के भविष्य तय करने वाला दिन कहा जा सकता है। इसमें राज्य सर्कार की दो जांच एजेंसियों समेत ईडी भी शामिल है। इसी तरह नान घोटाले के वक्त वहां पदस्थ रहे दो आईएएस अधिकारीयों समेत एक आईपीएस के लिए भी दिन खास रहने वाला होगा। क्योंकि भाजपा सरकार के समय फूटे नागरिक आपूर्ति निगम-नान घोटाला केस में केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। केंद्र सरकार की एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने रायपुर की विशेष अदालत में आवेदन देकर सुनवाई रोकने की मांग की है। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नान घाेटाला केस की जांच में ही फर्जीवाड़े और फोन टैपिंग के आरोपी आईपीएस मुकेश गुप्ता का निलंबन खत्म कर दिया है।
नान घोटाले के तत्कालीन महाप्रबंधक शिवशंकर भट्‌ट और दूसरे आरोपियों के खिलाफ रायपुर की विशेष अदालत में सुनवाई चल रही है। 15 सितम्बर को ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता सौरभ कुमार पाण्डेय ने एक आवेदन पेश किया। इसमें कहा गया कि इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में भी एक मामला चल रहा है। 19 सितम्बर को सुनवाई की तारीख तय है। जब तक सर्वोच्च न्यायालय ईडी की याचिका पर कोई फैसला नहीं दे देता रायपुर की अदालत में सुनवाई को रोक दिया जाए। रायपुर की विशेष अदालत में अब इस मामले की सुनवाई 24 सितम्बर को होनी है। उसी में स्पष्ट होगा कि अदालत ने इस आवेदन पर क्या फैसला किया है। 16 सितम्बर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव संजीव कुमार ने निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता को बड़ी राहत देने वाला आदेश जारी किया। गृह मंत्रालय ने मुकेश गुप्ता का निलंबन रद्द कर दिया है। इसके लिए आधार यह दिया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मुकेश गुप्ता के खिलाफ दर्ज सभी मामलों और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर स्थगन दिया हुआ है। मुकेश गुप्ता 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त भी हो रहे हैं।

इस केस में ऐसे एंट्री मारी ईडी

जनवरी 2019 में नान घोटाले में मनी लॉड्रिंग के आधार पर पहला केस दर्ज हुआ। बाद में आयकर विभाग ने राज्य सरकार के कुछ अफसरों, यहां के कारोबारियों और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापा मारा। बड़ी संख्या में कैश, दस्तावेज बरामद हुए। उसी में एक वॉट्सएप चैट भी सामने आई जिसमें राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों और उच्च न्यायालय के एक न्यायिक अधिकारी की नान घोटाला मामले में कथित बातचीत दर्ज है। ईडी इस चैट को लेकर सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई। वहां कोर्ट ने उसे भी पार्टी बनने को कहा। बाद में ईडी भी एक पक्षकार बनी। उसने आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की जमानत के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई।

उच्च न्यायालय में भी 3 मामले लंबित

सामाजिक संस्था हमर संगवारी के राकेश चौबे, अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और पूर्व विधायक वीरेंद्र पाण्डेय ने भी नान घोटाले को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई है। राकेश चौबे ने अपनी याचिका में मामले की सीबीआई अथवा अदालत की निगरानी में बनी एसआईटी से जांच कराने की मांग रखी है। बताया जा रहा है, ईडी भी इस मामले की सुनवाई प्रदेश के बाहर ट्रांसफर करने की मांग कर रही है।

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