नेशनल डेस्क। शारदीय नवरात्रि का छठवां दिन आज 1 अक्टूबर को है। नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी को समर्पित होता है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी के स्वरूप की बात करें तो माता रानी का स्वरूप अत्यंत भव्य व चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह हैं।

जानें नवरात्रि के पांचवें दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग व आरती-
मां कात्यायनी पूजन शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 ए एम से 05:25 ए एम।
- अभिजित मुहूर्त- 11:47 ए एम से 12:34 पी एम।
- विजय मुहूर्त- 02:09 पी एम से 02:57 पी एम।
- गोधूलि मुहूर्त- 05:55 पी एम से 06:19 पी एम।
- अमृत काल- 06:48 पी एम से 08:20 पी एम।
- रवि योग- 06:14 ए एम से 03:11 ए एम, अक्टूबर 02
मां कात्यायनी पूजा विधि…
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
- मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
- मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
- मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां की आरती भी करें।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है। मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है।
मां कात्यायनी की आरती-
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
बृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।