अफरा-तफरी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में अभी धान की कटाई पूरी नहीं हो सकी है, बावजूद इसके “चंद” किसानों के घरों में धान का स्टॉक पहुंच गया है। दरअसल ये धान छत्तीसगढ़ का नहीं बल्कि दूसरे राज्यों का है, जिसे यहां अच्छी कीमत मिलने की आस में चोरी-छिपे लाया जा रहा है। हालांकि सूचना मिलने पर ऐसे धान के स्टॉक को जब्त भी किया जा रहा है।

गरियाबंद जिले में हुई धर-पकड़

उड़ीसा राज्य से लगे हुए गरियाबंद जैसे जिले में हर वर्ष बड़े पैमाने पर तस्करी का धान पहुंचता है। इसी के मद्देनजर जिले के सूपेबेड़ा में विगत दिवस प्रशासन की टीम ने छापा मारकर 4 किसानों के घरों से 243 बोरा धान के अलावा ओड़िसा से 65 बोरा धान लाते हुए कैठपदर बॉर्डर पर पिकअप वाहन को जब्त किया। एसडीएम अर्पिता पाठक ने पुख्ता सूचना पर राजस्व और पुलिस के साथ मिलकर यह कार्यवाही की।

इन किसानो की धान कटी ही नहीं थी

इस कार्रवाई के बारे में एसडीएम अर्पिता पाठक ने बताया कि जिन किसानों के घरों में धान डंप किये जाने की सूचना मिली थी, उनके खेतों का इलाके के पटवारी से परीक्षण कराया गया। पता चला कि इन किसानों के खेतों में फसल खड़ी है और उनकी कटाई भी नहीं हुई है। इसकी पुष्टि के बाद धान को जब्त किया गया।

यहां व्यापारियों के गोदाम में हुई छापेमारी

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में अवैध रूप से भंडारित किए गए 251 क्विंटल धान का स्टॉक जब्त किया गया, जिसकी कीमत 6 लाख 77 हजार 700 रुपए बताई गई है। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश पर खाद्य, राजस्व और कृषि उपज मंडी की संयुक्त टीम ने जिले के 10 थोक एवं फुटकर व्यापारियों के गोदाम में छापेमार कार्रवाई की। इस दौरान 4 व्यापारियों के गोदाम से 251.50 क्विंटल धान जब्त किया गया। गोदाम में उपलब्ध दस्तावेज से अधिक धान के भंडारण पर ये कार्रवाई की गई। जिला प्रशासन की टीम ने एक व्यापारी के गोदाम को सील भी कर दिया।

इस बार एक माह पहले होगी खरीदी

छत्तीसगढ़ में पिछली बार की तुलना में इस बार एक माह पहले 1 नवम्बर से धान की खरीदी शुरू हो रही है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में अभी धान के फसल की कटाई चल रही है, जबकि पड़ोसी राज्य उड़ीसा में धान कट कर तैयार है। सूत्र बताते हैं कि गरियाबंद जिले के कई ऐसे गांव हैं जहां अब तक चोरी-छिपे 10 हजार बोरे से भी ज्यादा धान अलग-अलग गांवों में डंप किया जा चुका है। इसकी जानकारी ग्राम कोटवारों को भी है, मगर बताया जा रहा है कि ज्यादातर धान की डंपिंग उन्ही की मिलीभगत से हुई है।

उड़ीसा से सस्ते में धान लेकर यहां खपा रहे

छत्तीसगढ़ में इस वर्ष किसानों को प्रति क्विंटल धान 2640 रूपये में मिलेगा। उधर पिछले वर्ष तक उड़ीसा में धान 1200 रु. प्रति क्विंटल मिल जाया करता था। इस बार यहां कीमत बढ़ी तो उड़ीसा का धान फ़िलहाल 1500 हो गया है। बताया जा रहा है कि पिछली बार अंतिम समय मे धान 1900रु. में बिका था, इस बार नवम्बर माह से ही ओड़िसा का धान 2000रु. से ज्यादा कीमत पर बिकेगा। कीमत बढ़ने की आशंका के चलते भी फसल कटाई से पहले कई लोगो ने सस्ते के चक्कर में धान पहले से ही बुक करा लिया है।

समय रहते नहीं हुई नाकेबंदी

धान की तस्करी को रोकने के लिए राज्य के सीमा क्षेत्रों में हर वर्ष नाकेबंदी की जाती है, मगर ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई, तभी तो बिचौलिए बाहर से लाये गए धान को यहां खपा सके हैं। कई स्थानों पर अब भी नाका स्थापित करने का काम चल रहा है, जबकि बिचौलिए पहले से ही सक्रिय हैं।

कार्यवाही के लिए सही समय

जानकर बताते हैं कि धान की अफरा-तफरी को रोकने के लिए यह सही समय है। ऐसे वक्त में जब छत्तीसगढ़ में धान के फसल की कटाई हो रही है, राज्य के बॉर्डर वाले जिलों में अगर प्रसाशन धान कटाई के पहले ताकत झोंक देती है तो किसानों और बिचौलियों के घरों में डंपिंग धान की कलई खुल सकती है। गरियाबंद और पेंड्रा जिले में जिस तरह की कार्रवाई हुई है, वैसी ही टीम बनाकर छापामार कार्रवाई की जाये तो बाहर से तस्करी करके लाये गए धान को छत्तीसगढ़ में खपाया नहीं जा सकेगा।