परिवहन बंद

कोरबा। जिले की सबसे पुरानी मानिकपुर से प्रभावित 7 गांवों के भू-विस्थापितों ने कोयला परिवहन बंद करा दिया है। पूरे दिन उनका विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। ग्रामीणों की मांग है कि स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जाए और खेतों में मिट्टी फिलिंग को बंद किया जाए।

कोरबा शहर ले लगे हुए SECL के मानिकपुर कोयला खदान से प्रभावित ग्राम दादर खुर्द, भिलाई खुर्द, बरबसपुर, ढेलवाडीह सहित अन्य गांवों के सैकड़ों लोगों ने मानिकपुर खदान पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन किया। शुक्रवार को भी ग्रामीणों ने SECL के साइडिंग में काम बंद करा दिया था। तब सूचना मिलने पर एसईसीएल मानिकपुर के उप महाप्रबंधक अजय तिवारी वहां पहुंचे थे, जहां भू-विस्थापितों के साथ उनकी वार्ता फेल हो गई। जिसके बाद शनिवार को कोयला परिवहन ठप्प कर दिया गया, जिससे प्रबंधन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

न मुआवजा और न ही पुनर्वास

ग्रामीणों का आरोप है कि है कि प्रबंधन ने पहले ही जिन ग्रामीणों की जमीन ली थी, उन्हें न तो मुआवजा दिया और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की है। ऐसे में नए सिरे से कई किसानों के खेतों में मिट्टी फिलिंग का काम कराया जा रहा है, जो गलत है। कृषक कल्याण परिषद के सदस्य अमन पटेल ने बताया कि एसईसीएल के द्वारा दादर बस्ती के पास कोयला साइडिंग का निर्माण किया जा रहा है, जो कि अनुचित है। जिस कम्पनी को काम दिया गया है, वो बाहर से मजदूर लेकर आई है। स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है, जबकि जमीन उनकी गई है।

नौकरी देने के वायदे से मुकरा प्रबंधन

भूविस्थापितों का कहना है कि जमीन के अधिग्रहण के समय SECL ने गांव के बेरोजगारों को नौकरी देने की बात कही थी, लेकिन अब प्रबंधन अपने वादे से मुकर रहा है, जिसे लेकर सभी ग्रामीण आंदोलन पर उतर आए हैं। लोगों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। वहीं ग्रामीणों का ये भी कहना है कि प्रबंधन गांव के करीब 20 किसानों के खेतों में बिना सूचना दिए मिट्टी फिलिंग का काम करवा रहा है। इसके विरोध में वे खदान के भीतर प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल ने पुराने मामलों का अब तक निराकरण नहीं किया है, फिर नई जमीन को किस आधार पर लिया जा रहा है?

इस मामले में SECL मानिकपुर के उप महाप्रबंधक अजय तिवारी ने बताया कि जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है, उसका निपटारा जब तक नहीं हो जाता, तब तक काम बंद किया जाता है। प्रशासन द्वारा विवाद का निपटारा करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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