Bhanupratappur By-Election - सब कुछ इतनी जल्दी तय होने के बीच दावेदारी की चर्चा
Bhanupratappur By-Election - सब कुछ इतनी जल्दी तय होने के बीच दावेदारी की चर्चा

विशेष संवादाता, रायपुर


भानुप्रतापपुर उपचुनाव का चुनाव कार्यक्रम जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक और आदिवासी समाज के प्रभावशाली नेताओं में से एक मनोज सिंह मंडावी तीन दफे जीते। उनका 16 अक्टूबर को निधन हो गया महज़ निधन के 21 दिन बाद चुनाव आयोग का चुनावी शेड्यूल आना और उम्मीदवारी के लिए दिवंगत नेता की पत्नी का नाम चर्चा में है। साथ ही समर्थक पुत्र अमन मंडावी जो जिलाध्यक्ष भी हैं उन्हें भी भविष्य का नेता देखना चाहते हैं। हालांकि श्रीमती सावित्री मंडावी को कांग्रेस प्रबल दावेदार के तौर पर देख रही है।

फोटो में मनोज मंडावी अपनी पत्नी के साथ पंडोखर आश्रम पहुंचे थे

बता दें विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी को दिल का दौरा पड़ा था। अस्पताल पहुंचने तक उनका निधन हो चुका था। उनकी अन्त्येष्टि में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित प्रदेश कांग्रेस का पूरा नेतृत्व उनके पैतृक गांव नथिया नवागांव पहुंचा था। प्रदेश में राजकीय शोक घोषित हुआ। उनके निधन के बाद विधानसभा में उनकी सीट को रिक्त घोषित कर कर निर्वाचन आयोग को सूचना भेजी गई थी। बताते हैं कि निधन के बाद ही सारी सरकारी सुविधा जिसमे वाहन भी शामिल है वो भी बड़ी जल्दी ले लिया गया था। ऐसे में सब कुछ इतनी जल्दी तय होने के बीच दावेदारी की चर्चा, चुनावी समीकरण और बीजेपी का घात लगाए बैठने के अलावा आदिवासी आरक्षण का मामला कांग्रेस के लिए मुश्किलें कड़ी करेगा।

पुत्र अमन के साथ दिवंगत नेता मनोज मंडावी

ऐसी रही है भानुप्रतापपुर सियासी बिसात

संयुक्त मध्य प्रदेश के समय 1962 में पहली बार भानुप्रतापपुर का विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। पहले चुनाव में निर्दलीय रामप्रसाद पोटाई ने कांग्रेस के पाटला ठाकुर को हराया। 1967 के दूसरे चुनाव में प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के जे हथोई जीते। 1972 में कांग्रेस के सत्यनारायण सिंह जीते। 1979 में जनता पार्टी के प्यारेलाल सुखलाल सिंह जीत गए। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के गंगा पोटाई की जीत हुई। 1990 के चुनाव में निर्दलीय झाड़ूराम ने पोटाई को हरा दिया। 1993 में भाजपा के देवलाल दुग्गा यहां से जीत गए। 1998 में कांग्रेस के मनोज मंडावी जीते। अजीत जोगी सरकार में मंत्री रहे। 2003 में भाजपा के देवलाल दुग्गा फिर जीत गए। 2008 में भाजपा के ही ब्रम्हानंद नेताम यहां से विधायक बने। 2013 में कांग्रेस के मनोज मंडावी ने वापसी की। 2018 के चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

उपचुनाव चुनाव का पूरा शेड्यूल

1.नामांकन-10 नवम्बर से 17 नवम्बर

2.नामांकन की जांच -18 नवम्बर

3.नाम वापसी का मौका -21 नवम्बर तक

4.मतदान-5 दिसम्बर

5.मतगणना- 8 दिसम्बर

6.चुनाव खत्म-10 दिसम्बर