नई दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने बिजली के खंभों, बस स्टॉप और ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी सेवाओं के छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश की गई है। इसी के साथ ही छोटे दूरसंचार उपकरण लगाने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत खत्म करने का भी सुझाव दिया गया है।

ट्राई ने सिफारिश में कहा कि दूरसंचार विभाग को 600 वाट से कम विकिरण क्षमता वाले ‘लो पावर बेस ट्रांसीवर स्टेशन’ (एलपीबीटीएस) लगाने की मंजूरी लेने की बाध्यता से मुक्त किया जाना चाहिए।
5जी के स्पेक्ट्रम बैंड की कवरेज कम
5जी के स्पेक्ट्रम बैंड 2जी, 3जी एवं 4जी नेटवर्क की तुलना में बहुत कम इलाके को कवर करते हैं। इस वजह से 5जी सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और सिग्नल अंतराल को दूर करने के लिए कम क्षमता वाले दूरसंचार उपकरण लगाने की जरूरत पड़ेगी। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में संशोधन कर बिजली खंभे, बस स्टाप एवं ट्रैफिक सिग्नल जैसे ‘स्ट्रीट फर्नीचर’ को भी शामिल करने की मांग ट्राई ने की है।
ट्राई ने इस संबंध में जरूरी अधिसूचना जारी करने को भी कहा है। विकिरण का कम स्तर होने से छोटे दूरसंचार उपकरणों को अधिक सुरक्षा की जरूरत नहीं होगी और उन्हें लगाने में भी अधिक समस्या नहीं होगी। एसईएसजी ऑपरेटरों के लिए अलग लाइसेंस जारी कर ट्राई ने अंतरिक्ष संचार को जमीनी नेटवर्क से जोड़ने वाले उपग्रह पृथ्वी स्टेशन का संचालन करने वाली कंपनियों के लिए एक अलग लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा की है।
ट्राई की अनुशंसा के अनुसार 20 साल के लिए वैध इस तरह का लाइसेंस दूरसंचार ढांचे एवं सेवाओं के वितरण तक सीमित होगा। एसईएसजी लाइसेंस के धारक आम उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की सेवा सीधे नहीं देंगे और उन्हें 10 लाख रुपये का शुल्क देना होगा। फिलहाल दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवाओं के लिए लाइसेंस जारी करता है।
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