Politics Broke The Dignity Of The House -हम भी अपनी मां के बेटे हैं जवाब देना जानते हैं - बीजेपी, बीजेपी गुंडागर्दी में उत्तरी, मर्यादा तोड़े - कांग्रेस
Politics Broke The Dignity Of The House -हम भी अपनी मां के बेटे हैं जवाब देना जानते हैं - बीजेपी, बीजेपी गुंडागर्दी में उत्तरी, मर्यादा तोड़े - कांग्रेस

विशेष संवादाता, रायपुर

बीजेपी और कांग्रेस की सियासत इतनी तल्ख़ हो गई कि जो सदन में कभी नहीं हुआ उस मर्यादा को भी दोनों दलों ने पार कर दिया। दोनों दलों की सियासत ने सदन की गरिमा को नज़र अंदाज़ करते हुए तीखी झड़प के साथ साथ एक दूसरे को धमकी फिर धक्का-मुक्की से भी ज्यादा आगे बढ़ जाते। अब छत्तीसगढ़ विधान सभा की गरिमा, उच्च संसदीय परंपरा को कलंकित करने वाले कृत्य को एक दूसरे पर थोपने का प्रयास कर रहे हैं।

बृज मोहन अग्रवाल ने बयान दिया कि सत्ता पक्ष से हम को देख लेने की धमकी दी गई। हमको कहे कि हम आपके तरफ आ कर आपके ऊपर बैठ सकता हु तो हम भी अपनी माँ के बेटे है हम को पता है कैसे जवाब देना है। मंत्री शिव डहरिया ने विधानसभा अध्यक्ष से की शिकायत। बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर के खिलाफ शिकायत धक्का-मुक्की करने की मंत्री शिव डहरिया की शिकायत। यह सब आरक्षण विधेयक और खुद को पाक साफ़ बताने की होड़ में विवाद गरमाया है।

19 सितम्बर तक प्रदेश में 68% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण के साथ सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया है।

विधेयक पारित हुआ तो संकल्प आएगा

दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में एक शासकीय संकल्प भी पेश करने वाले हैं। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया जाना है कि वह छत्तीसगढ़ के दोनों आरक्षण कानूनों को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल विषयों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती। यानी सामान्य तौर पर इसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

विधेयक पारित होते ही आरक्षण नहीं मिलेगा

1, अगर राज्यपाल इस विधेयक पर तुरंत हस्ताक्षर कर दें और अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित हो जाए तो उस दिन से यह लागू हो जाएगा।

2, अगर सरकार इस कानून पर अनुच्छेद (31ग) के तहत राष्ट्रपति की सम्मति चाहे, तो राज्यपाल के अनुच्छेद 201 के अधीन कार्रवाई के बाद (केंद्र द्वारा कानूनी सलाह लेने समेत) चरणबद्ध प्रक्रिया पूरा होने तक इंतजार करना होगा।

3, नवीं अनुसूची में शामिल कराना चाहे तो संविधान संशोधन अधिनियम पारित करने की चरणबद्ध प्रक्रिया पूर्ति के लिए और भी लंबा इंतजार करना होगा।

4, यह प्रक्रिया पूरी होने तक राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 के अधीन विधेयक पर हस्ताक्षर के साथ ही अधिनियमों की वैधता को हाई कोर्ट में कोई भी चुनौती दे सकता है। ऐसे में इस कानून को लागू करने पर स्टे भी मिल सकता है।