बेगारी

रायपुर। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में रायगढ़ का एक मजदूर अपने परिवार सहित 20 माह से ठेकेदार के चंगुल में फंसा है। मजदूरी दिए बिना ही इस परिवार से काम लिया जा रहा था। मजदूर ने जब दबाव बनाया तब उसे पैसे दिए बिना ही काम से बाहर कर दिया गया। अब यह परिवार लौटना चाहता है, मगर उसके पास किराये के लिए भी पैसे नहीं है।

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बोंडेड लेबर के संयोजक निर्मल गौराना ने बताया है कि उन्होंने कठुआ के जिलाधिकारी, रायगढ़ कलेक्टर, एसपी कठुआ व प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ एवं जम्मू कश्मीर सरकार को शिकायत लिखी है तथा सीधे फोन पर इस संबंध में बात भी की है।

निर्मल के मुताबिक 20 माह पहले सारंगढ़ का अशोक दिनकर रायगढ़ निवासी चैन सिंह से मिला। वह उसको बहला फुसलाकर परिवार सहित अप्रैल, 2021 में कठुआ, जम्मू एवं कश्मीर ले गया। यहां पर अशोक ने चैन सिंह और उसकी पत्नी तथा उसकी नाबालिग बच्ची को निर्माण कार्य में लगा दिया। चैन सिंह अपनी तीन बच्चियों और पत्नी के साथ कार्य स्थल पर ही रह रहा था। अशोक दिनकर पूरे परिवार को कठुआ जिले के अलग अलग तहसील में ले जाकर चैन सिंह के परिवार से अपनी मर्जी के मुताबित काम लेने लगा किंतु काम के एवज में मेहनताना नही दिया। पूरा परिवार बेगारी करता रहा।

पूरे 20 माह के बाद जब चैन सिंह ने मजदूरी मांगी और छत्तीसगढ़ जाने की जिद की तो अशोक दिनकर ने चैन सिंह और उसके परिवार को सेवदा गांव में चल रहे निर्माण कार्य से निकाल दिया और कह दिया कि जो करना है करले, मेरा क्या बिगाड़ लेगा। तब से चैन सिंह कठुआ में न्याय की आस लगाए जन संगठनों से संपर्क साध रहा है। चैन सिंह ने नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर से बात की। अब उसे छत्तीसगढ़ वापस भेजने का प्रयास हो रहा है।

मदद की गुहार लगा है परिवार

TRP न्यूज़ ने मोबाइल पर चैन सिंह से बात की। उसने बताया कि उसका परिवार इससे पहले कभी भी मजदूरी करने जम्मू नहीं आया था। अशोक दिनकर ने उसे अच्छी कमाई का लालच दिखाया और परिवार सहित यहां ले आया। लगभग दो साल तक उसने जहां भी काम कराया, केवल खाने के पैसे देता रहा। जबकि खर्चा काट कर उनके लगभग 40 हजार रूपये बकाया हैं। मगर अशोक दिनकर ने पैसे दिए बिना ही उन्हें भगा दिया। फ़िलहाल ये परिवार किसी गुप्ता ठेकेदार के अधीन नाली निर्माण के काम में मजदूरी कर रहा है। कुछ संगठनों ने उन्हें कड़ाके की ठण्ड में कम्बल मुहैया कराया है। वे किसी तरह यहां पर गुजारा कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ और रायगढ़ जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें किसी तरह वापस लाया जाये और उसकी मजदूरी दिलाते हुए धोखाधड़ी करने वाले ठेकेदार अशोक दिनकर के खिलाफ कार्रवाई की जाये।

बंधुआ मजदूरों को लेकर गंभीर नहीं है सरकार – गोराना

नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बोंडेड लेबर के संयोजक निर्मल गोराना का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रवासी बंधुआ मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता नही दिखा रही हैं। केवल मजदूरों को दूसरे राज्यों जहां वे फंसे है, वहां से ले आना ही काफी नहीं है। उचित पुनर्वास के अभाव में मजदूर परिवारों की बंधुआगिरी एवं मानव तस्करी का चक्र खत्म हो नही हो रही है।सरकार को बंधुआ मजदूरों की रिहाई और पुनर्वास के लिए टास्क फोर्स बनाना चाहिए, और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई के साथ ही मजदूर परिवारों के पुनर्वास पर ध्यान देना चाहिए।

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