नई दिल्ली । गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान भारी मात्रा में धनराशि जब्त की गई है। यह धनराशि मतदाताओं के कीमती वोटों को खरीदने के फिराक विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा लाए गए थे। लेकिन प्रवर्तन एजेंसियों की कड़ी नजर के कारण उनके मंसूबों पर पानी फिर गया और यह राशि जब्त कर ली गई। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया के दौरान क्रमश: 801.85 करोड़ रुपये और 57.24 करोड़ रुपये जब्त किए।

चुनाव आयोग के अनुसार, यह वर्ष 2017 के पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में गुजरात में 2,846.89 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 533.88 प्रतिशत की महत्वपूर्ण छलांग है। 2017 के चुनावों में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कुल जब्ती क्रमश: 27.21 करोड़ रुपये और 9.03 करोड़ रुपये थी। गुजरात के सीमावर्ती जिले कच्छ में मुंद्रा बंदरगाह से मुफ्त उपहारों की भारी जब्ती की सूचना मिली थी, जहां डीआरआई ने 160 करोड़ रुपये से अधिक की मुफ्त वस्तुएं जब्त की थीं।

गुजरात में चुनाव की घोषणा से पहले गुजरात के तटीय इलाकों में भारी मात्रा में मादक पदार्थो की जब्ती की खबर आने के कारण आयोग ने तटरक्षक, एनसीबी और एटीएस को नशीले पदार्थो की जब्ती पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया था।अधिकारियों ने कहा कि परिणाम उत्साहजनक थे, क्योंकि एटीएस ने वड़ोदरा में अवैध इकाइयों का भंडाफोड़ करके भारी मात्रा में ड्रग्स जब्त की। कुल 478 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई।


खास बात यह कि मतदान के बाद भी सख्ती जारी है।
जैसा कि पुलिस नोडल द्वारा बताया गया है, 7 दिसंबर को एटीएस ने गोरवा, वडोदरा में आगे की तलाशी में 121 करोड़ रुपये मूल्य की 24 किलोग्राम मेफ्रेडोन दवा जब्ती की गई है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती कांगड़ा जिले में रिकॉर्ड शराब (5.04 लाख लीटर) की ढुलाई हुई, जो पंजाब के होशियारपुर जिले और सिरमौर जिले में 2.51 लाख लीटर शराब जब्त की गई। हिमाचल का सिरमौर जिला हरियाणा और उत्तराखंड की सीमा से लगा हुआ है।
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों की घोषणा के अवसर पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रलोभन मुक्त चुनाव पर जोर दिया और हिमाचल प्रदेश में भारी मात्रा में बरामदगी का हवाला दिया।
आयोग ने 23 नवंबर को मुख्य सचिवों, डीजीपी, आबकारी आयुक्तों, डीजी (आयकर) और गुजरात और उसके पड़ोसी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों – राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दमन और दीव और दादरा व नगर हवेली के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत की थी। यह कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने और स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए समन्वित भागीदारी के लिए आयोजित किया गया था।