HIGH COURT

कोरबा। जिले के जनपद पंचायत कोरबा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जीके मिश्रा को पिछले दिनों आर्थिक अनियमितता के एक ही मामले में दोबारा निलंबित करने का आदेश जारी किया गया था। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय रायपुर के द्वारा किए गए इस निलंबन के विरुद्ध CEO ने उच्च न्यायालय बिलासपुर की शरण ली। जिसकी सुनवाई करते हुए निलंबन पर स्थगन आदेश जारी किया गया है।

यह मामला नियम विरुद्ध तरीके से निर्माण कार्यो के लिए आदेश जारी करने और भुगतान से संबंधित था। चुनाव के दौरान किये गए गए उक्त कृत्य को अवैधानिक मानते हुए जीके मिश्रा को निलंबित कर दिया गया था। तब भी मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। तब कोर्ट ने उन्हें विभाग प्रमुख के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया था।

वर्तमान में यह मामला फिर प्रकाश में आया, जब पूर्व गृह मंत्री और भाजपा विधायक ननकी राम कंवर ने मामले में कार्रवाई की मांग की। इस मामले में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्रालय रायपुर के द्वारा पूर्व में की गई कार्रवाई की जानकारी लिए बिना ही CEO जीके मिश्रा को दोबारा निलंबित कर दिया गया। इस बार भी मिश्रा निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट में गए। संयोग इस बात की थी कि यह मामला भी उन्हीं न्यायाधीश के न्यायालय में प्रस्तुत हुआ जहां पूर्व में इसकी सुनवाई हुई थी। न्यायाधीश ने पुराने प्रकरण का स्मरण करते हुए सवाल उठाया कि एक ही प्रकरण में किसी को दो बार कैसे निलंबित किया गया। उन्होंने इस मामले में विभाग को 4 माह में जवाब प्रस्तुत करने का नोटिस जारी करते हुए जीके मिश्रा के निलंबन पर स्टे आदेश दे दिया।

उच्च न्यायालय द्वारा जारी उक्त आदेश के पालन में कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी संजीव झा के द्वारा जीके मिश्रा का निलंबन स्थगित कर उन्हें जनपद पंचायत कोरबा का प्रभार पुन: सौंप दिया गया है। आदेश उपरांत सीईओ ने पदभार भी संभाल लिया है।

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