नई दिल्ली : आजकल शिक्षा से लेकर सभी चीज ऑनलाइन आसानी से मिल जाती है। बच्चों के पढ़ाई में भी इंटरनेट ने एक अहम् भूमिका निभाई है। कोरोना काल में सभी की पढ़ाई ऑनलाइन हो गयी थी। ऐसे में ऑनलाइन एजुकेशन मुहैया कराने वाली कंपनी बायजू ने भी बहुत से बच्चों को शिक्षा दी है। बायजू कंपनी साल में करोड़ो रूपए कमाती है । ऐसे में अब बायजू का एक बयान सामने आया है।

उनका कहना है की वह कम आय वाले परिवारों या ये परिवार जो उनकी चार्जेज को वहन करने में सक्षम नहीं हैं उन्हें अपने ट्यूशन क्लासेज नहीं बेचेगी। कंपनी के सहसंस्थापक प्रवीण प्रकाश ने घोषणा की है कि 25,000 से कम आमदनी वाले परिवारों को अपना कोर्स ना बेचने या उन्हें कोर्स के लिए लोन नहीं उपलब्ध कराने के लिए कंपनी अपने संभावित उपभोक्ताओं के सामर्थ्य की जांच करेगी।

जानकरी के अनुसार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बायजू की कार्यस्थल संस्कृति और ग्राहक सेवा प्रक्रियाओं में दो-भाग के संदर्भ में खुलासे के बाद सम्मन जारी किया था। आयोग को शिकायत मिली थी कि कंपनी माता-पिता को लुभाने के लिए अनैतिक व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल थी। इस संदर्भ में ऐसे कई ग्राहकों से बात की गई, उन्होंने कहा कि उन्हें पाठ्यक्रमों की के दौरान खरीदारी धोखा दिया गया था या किसी अन्य तरीके से उनका शोषण किया गया था और अंततः वे अपना पैसा भी वापस नहीं पा सके। प्रकाश ने एनसीपीसीआर के समन के बाद 23 दिसंबर को बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान बायजू के सीईओ बायजू रवींद्रन का प्रतिनिधित्व किया। यह किसी भारतीय एडटेक कंपनी को उसकी बिक्री विधियों के लिए भेजा गया इस तरह का पहला नोटिस माना जा रहा है।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने एक फोन साक्षात्कार में कहा, “कंपनी की आक्रामक नीतियों के कारण बच्चों और उनके परिवारों को आज मनोवैज्ञानिक आघात से कुछ राहत मिली है।” “हम एक टेक कंपनी के कामकाज को विनियमित नहीं कर सकते, लेकिन उनकी शोषणकारी रणनीति का प्रभाव निश्चित रूप से हमारी जांच के दायरे में था।”