PM's Speech In Rajya Sabha Lambasted Congress- पीएम का अंदाज़-ऐ-बयां, बोले कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाब..
PM's Speech In Rajya Sabha Lambasted Congress- पीएम का अंदाज़-ऐ-बयां, बोले कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाब..

टीआरपी डेस्क

गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षियों को कुछ इस अंदाज़ में जवाब दिया। मोदी का भाषण शुरू होने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर PM ने कहा- सदन में जो भी बात होती है, उसे देश गंभीरता से सुनता है और गंभीरता से लेता है।

लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों की वाणी न सिर्फ सदन को, बल्कि देश को निराश करने वाली है। इस प्रकार की प्रवृत्ति के सदस्यों को यही कहूंगा कि कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल। जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल। जितना कीचड़ उछालोगे, कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। कमल खिलाने में प्रत्यक्ष या परोक्ष आपका जो भी योगदान है, इसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं।

कहा 60 साल में एक परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे किए

मोदी ने कहा- कल विपक्ष के खड़गेजी ने कहा कि 60 साल में उन्होंने मजबूत बुनियाद बनाई। उनकी शिकायत थी कि बुनियाद हमने बनाई और क्रेडिट मोदी ले रहा है। 2014 में आकर जब मैंने बारीकी से चीजों को देखने का प्रयास किया तो नजर आया कि 60 साल कांग्रेस के परिवार ने गड्ढे ही गड्ढे कर दिए थे। उनका इरादा नेकी का होगा, लेकिन गड्ढे कर दिए थे।

पीएम के भाषण का लब्बो-लुआब

0 हमने सीधे जनधन खाते में लाभार्थियों को पैसे भेजे। हम नया इको सिस्टम लाए। जिन लोगों को पुराने इको सिस्टम के फायदे मिलते थे, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है। पहले परियोजनाएं लटकाना, भटकाना कल्चर था। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट को गति देने का काम हो रहा है। योजनाएं बनाने में महीनों लगते थे, आज सप्ताहभर में योजनाएं आगे बढ़ा दी जाती हैं।

0 कोई भी जब सरकार में आता है तो देश के लिए कुछ करने के वादे करके आता है। जनता का भला करने के वादे करके आता है। सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती है। जैसे कभी कहा जाता था गरीबी हटाओ, 4 दशक में कुछ नहीं हुआ। विकास की गति क्या है,विकास की नीयत, उसकी दिशा, प्रयास, परिणाम क्या है ये बहुत मायने रखता है। जनता की आवश्यकताओं के लिए मेहनत करते हैं तो दबाव बढ़ता है, परिश्रम ज्यादा करना पड़ता है। गांधीजी कहते थे, श्रेय और प्रिय। हमने श्रेय का रास्ता चुना और प्रिय लगने वाला रास्ता छोड़ा। दिनरात मेहनत करेंगे, लेकिन जनता की उम्मीदों को चोट नहीं पहुंचने देंगे।

0 देश आजाद हुआ तब से 2014 तक 14 करोड़ एलपीजी कनेक्शन थे, लोगों की मांग थी कि कनेक्शन दिला दो। डिमांड और प्रेशर कम था। हमने तय किया कि हर घर को एलपीजी देंगे। मालूम था कि हमें मेहनत करनी पड़ेगी, धन खर्च करना पड़ेगा। दुनियाभर से गैस लाना पड़ेगा। इसके बावजूद हमारी प्राथमिकता नागरिक था, सामान्य लोग थे। हमने 32 करोड़ से ज्यादा परिवारों को गैस कनेक्शन पहुंचाए। इससे समझ सकते हैं कि कितनी मेहनत करनी पड़ी होगी। गर्व के साथ मेहनत की।

0 गांवों में बिजली नहीं थी। दूरदराज के गांव थे, नॉर्थ ईस्ट के गांव थे। पहाड़ी गांव थे। इनके वोट बैंक नहीं थे तो इन्होंने बिजली पहुंचाने पर ध्यान नहीं दिया। हमने कहा कि हम मक्खन नहीं, पत्थर पर लकीर खींचेंगे। हमने 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाई। उनका विकास हुआ और देश की व्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ा। वो विश्वास हमने जीता है। हमने मेहनत की। खुशी है कि दूरदराज के गांवों को आजादी के इतने सालों बाद आशा की किरण दिखाई दी।

0 पहले की सरकारों में कुछ घंटे बिजली आती थी। पहले गांव में एक खंबा गाड़ देते थे तो हर साल उसकी एनिवर्सिरी बनाते थे। हम आज 22 घंटे बिजली देने में सफल हुए हैं। हमने लोगों को उनके भाग्य पर नहीं छोड़ दिया। राजनीतिक फायदे-घाटे की बात नहीं सोची, देश का कल उज्ज्वल बनाने का रास्ता चुना। मेहनत का रास्ता चुना।