dfo jangal

महासमुंद। जिले मे वन्य क्षेत्र को आग से बचाने के लिए वनमण्डाधिकारी एक अनोखी पहल करते हुए सभी सरपंचों, वन प्रबंधन समितियों, सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को पोस्टकार्ड मे संदेश भेज रहे हैं। इस पोस्टकार्ड में जंगलों के आग की चपेट में आने से होने वाले नुकसान के उल्लेख के साथ ही अपील की गई है कि जंगलो को जलने से बचाने में वन विभाग का मदद करें।

ऊपर जो पोस्टकार्ड आप देख रहे हैं, यह महासमुंद के वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत के द्वारा जिले के 551 ग्राम पंचायत के सरपंचों, जिले के वन प्रबंधन समितियों के अध्यक्ष , सांसद, विधायको एवं पत्रकारों को भेजा जा रहा है। जिसमें वनों को आग से बचाने व वनों में आग लगने से क्या नुकसान होता है, इसका उल्लेख है।

कच्चे घड़े के सामान होता है जंगल

वन मण्डलाधिकारी ने बताया कि जंगल कच्चे घड़े के समान होता है, जो पानी गिरने पर पानी को अवशोषित कर लेता है, मगर जब घड़े को आग में पका दें तो वह ठोस हो जाता है। इसी प्रकार जंगल में आग लगने से जमीन पक जाती है, जिससे जल संरक्षण नहीं होता और पानी बह जाता है, इसके चलते बाढ़ आती है और उसके बाद सूखा। इसलिए जंगलों को आग से जलने से बचाएं।

छत्तीसगढ़ी भाषा मे लिखा है पोस्टकार्ड

यह पोस्टकार्ड छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रिंट किया हुआ है। DFO पंकज राजपूत का कहना है कि 1000 पोस्टकार्ड में से 100 लोगों ने भी अमल किया तो हमारा अभियान सफल हो जायेगा।

गौरतलब है कि महासमुंद जिले मे गर्मी का मौसम शुरु होते ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं और इसके साथ ही पानी किल्लत शुरु हो जाती है। ऐसे में DFO की इस पहल की सभी तारीफ कर रहे हैं।

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