TP SHARMA LOK AYOG

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जब लोक आयोग की स्थापना हुई तब लोगों को यह उम्मीद थी कि इस संस्था से भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में मदद मिलेगी, मगर इतने वर्षों में लोगों की उम्मीद जाती रही। आलम यह है कि खुद लोकायुक्त भी यह मानते हैं कि लोक आयोग को और भी मजबूत बनाने की जरुरत है।

लोक आयोग के प्रमुख लोकायुक्त जस्टिस टीपी शर्मा ने अपने कार्य अनुभव को लेकर आयोग के प्रतिवेदन में स्पष्ट तौर पर कहा है कि लोकायुक्त अधिनियम में समुचित प्रभावशाली प्रावधान नहीं होने के कारण जनता की आशा के अनुरूप लोकायुक्त संगठन प्रभावी रूप से कार्य करने में समर्थ नहीं हो रहे हैं।

संशोधन हो तब हो सकेगी प्रभावी कार्रवाई

प्रतिवेदन में उल्लेख है कि छत्तीसगढ़ लोक आयोग ने अपने उद्देश्यों पर खरा उतरने और भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य शासन को 12 फरवरी 2 014 को प्रस्ताव भेजकर लोक आयोग अधिनियम-02 में समुचित संशोधन की सिफारिश की थी। अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन हो जाने पर अधिनियम के अनुसार प्रभावी कार्रवाई किया जा सकेगा, जो लोक आयोग अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक हो सकेगी। यह प्रस्ताव अब तक कार्रवाई के लिए लंबित है।

प्रमुख लोकायुक्त जस्टिस टीपी शर्मा ने प्रतिवेदन में उल्लेखित किया है कि भ्रष्टाचार, अवचार पर नियंत्रण रखने के लिए, और जांच करने के लिए प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा केंद्र स्तर पर लोकपाल, व राज्य स्तर पर लोकायुक्त के गठन का प्रस्ताव दिया गया, जिसके अनुशरण में छत्तीसगढ़ समेत 18 राज्यों द्वारा लोकायुक्त संगठन का गठन किया गया, परंतु लोकायुक्त अधिनियम में समुचित प्रावधान नहीं होने, और लोकायुक्त संगठनों को वांछित सुविधाएं, अधोसंरचना, और लोकायुक्तों द्वारा की गई अनुशंसाओं पर प्रभावी-त्वरित कार्रवाई नहीं करने के कारण जनता की आशा के अनुरूप लोकायुक्त संगठन प्रभावी रूप से काम करने में सक्षम नहीं हो रहे हैं, पर आम जनता का इस संस्था के प्रति अभी भी विश्वास है कि यही एक ऐसी संस्था है, जो कि भ्रष्टाचार नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कार्रवाई कर सकती है।

भ्रष्टाचार ऐसी बीमारी, जो…

प्रतिवेदन में आगे कहा गया कि आम धारणा है कि भ्रष्टाचार ऐसी बीमारी है जो देश और उसके नागरिकों की जीवन शक्ति को नष्ट कर देती है। कालांतर में भ्रष्टाचार सभी को हानि पहुंचता है, जिनमें वे व्यक्ति भी शामिल हैं, जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं। अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार से भारी विकृतियां पैदा होती है। जो विकास कार्यों के अच्छे विचारों को भी नष्ट कर देती है। यह एक दुखद बात है कि हमारे देश में भ्रष्टाचार जो अपराध है, से सामान्य जन जीवन पूरी तरह ग्रस्त है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि ऐसी संस्थाओं का खुले हृदय से समर्थन करें, जो भ्रष्टाचार रूपी कैंसर से मुकाबला कर रही है।

बीते वर्ष 99 प्रकरण निराकृत

आयोग के प्रतिवेदन में बताया गया कि पिछले वर्ष की भांति वित्तीय वर्ष 2021-22 भी कोरोना वायरस महामारी से प्रभावी रहा है। फिर भी इस अवधि में 186 नई शिकायतें प्राप्त हुई, जिसमें से 99 प्रकरणों का निराकरण किया गया। यह बताया गया कि आयोग में शिकायत प्रकरणों की जांच के दौरान साक्ष्य लिए जाते हैं, और प्रतिरक्षा का अवसर भी दिया जाता है।

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