Rang Panchami 2023 : 8 मार्च को पुरे देश में धूमधाम से होली मनाया गया। होली 2 दिन का पर्व होता है। होली के ठीक 5 दिन बाद देव होली याने रंग पंचमी खेली जाती है। इस दिन भी लोग रंग और गुलाल के साथ रंगपंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाते है। सनातन धर्म में साल के पहले त्योहार के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी का पर्व आज (12 मार्च) रविवार को मनाया जा रहा है।

रंग पंचमी को श्री पंचमी और देव पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। रंग पंचमी का त्योहार सनातन धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन लोग राधा-कृष्ण को अबीर गुलाल अर्पित करते हैं वहीं देश के कुछ राज्यों में इस दिन जुलूस निकालने की भी परंपरा है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के इंदौर में रंगपंचमी के मौके पर गैर निकाली जाती है। जिसे लेकर सुरक्षा के कड़े इंतेजाम किए गए है। इसके अलावा पूरे प्रदेश में गेर की धूम मची हुई है। इसी कड़ी में आज उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में टेसू के फूल से बने रंगो से होली खेली गई।

पुजारियों ने तीन क्विंटल टेसू के फूलों से प्राकृतिक रंग बनाया। ज्योतिर्लिंग की परंपरा अनुसार रंगपंचमी का त्योहार सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में गया। भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल के साथ फूलों के रंग से होली खेलेंगे। इसके बाद भक्तों को रंग लगाया जाएगा। पुजारियों ने तीन क्विंटल टेसू के फूलों से करीब 200 लीटर प्राकृतिक रंग तैयार किया है।

रंगपंचमी का महत्व

रंग पंचमी के मौके पर हर तरफ अबीर गुलाल उड़ाया जाता है। मान्यता है कि उड़ता गुलाल व्यक्ति के सात्विक गुणों में अभिवृद्धि करता है। इस के साथ ही तामसिक और राजसिक गुणों को नष्ट करता है। रंगों वाली होली से यह दिन कुछ अलग होता है। इस दिन होली की तरह लोग शरीर पर रंग नहीं लगाते, बल्कि वातावरण में रंग बिखेरते हैं।रंगपंचमी का महत्व