Kusum Scheme To Promote Green Energy In The State -हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना
Kusum Scheme To Promote Green Energy In The State -हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना

विशेष संवादाता, रायपुर

प्रदेश में हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना के तहत कृषि पंप फीडरों के सोलराइजेशन का कार्य रेस्को (आरईएससीओ अर्थात रिन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी) मोडल के माध्यम से किया जाएगा। इसमें किसान की जमीन पर निजी सोलर प्लांट लगाए जाएंगे और उन उत्पादकों से उत्पादित बिजली को छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी खरीदेगी। इसमें जिन किसानों की जमीन पर प्लाट लगेगा, उसका किराया डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी 30 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से करेगी। इसका निर्णय को माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रि- परिषद की बैठक लिया गया। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत रेस्को मॉडल पर योजना लागू होना है। इसमें कोई भी निजी उत्पादक कंपनी

कृषि पंप फीडरों के सोलराइजेशन की योजना को मिली मंजूरी

किसान, सहकारी संस्था या पंचायत सोलर प्लांट लगा सकेंगे। इस योजना के अन्तर्गत पम्प फीडरों के सोलराइजेशन हेतु निविदा के माध्यम से प्रति यूनिट की कम दर निर्धारित की जावेगी, जिस पर विद्युत कंपनी द्वारा सकल उत्पादित विद्युत क्रय करने हेतु 25 वर्षों (संयंत्र के जीवनकाल तक) का अनुबंध किया जायेगा | संयंत्र की स्थापना हेतु लगने वाली भूमि को विद्युत कंपनी द्वारा वार्षिक किराया रूपये 30 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से भुगतान किया जावेगा, जिसमें प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की दर से वृद्धि स्वीकृत की गई है। उक्त वृद्धि से किसानों को अतिरिक्त आय हो सकेगी, राज्य सरकार पर सब्सिडी का भार काम होगा एवं प्रदेश में हरित उर्जा को बढ़ावा मिल सकेगा।

वर्तमान में प्रदेश में 577 कृषि पंप फीडर

वर्तमान में प्रदेश में 577 कृषि पंप फीडर हैं, जिनसे 1 लाख 75 हजार कृषि पंप जुड़े हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की ओर से प्रति वर्ष पाँच एचपी के पंप पर 7500 यूनिट और तीन एचपी के पंप पर 6000 यूनिट बिजली मुफ्त दी जा रही है। कृषि पंपों में जितनी बिजली की खपत हो रही है, उतनी बिजली का उत्पादन सोलर प्लांट से करने का लक्ष्य है। सोलर प्लांट से उत्पादित बिजली ग्रिड में डाली जाएगी। ग्रिड से किसानों को कृषि पंपों के लिए पहले की तरह हो बिजली मिलती रहेगी। यह संयंत्र इन कृषि फीडरों के पाँच किलोमीटर के आसपास क्षेत्र में कई भागों में लगेगी। ताकि एक साथ बड़ी जमीन की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि किसान अपनी अनुपयोगी जमीन सोलर प्लांट लगाने दे सकेंगे। एक मेगावाट सोलर प्लांट लगाने में 3.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता पड़ती है