Chaitra Navratri 2023 Day 2: चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। 23 मार्च 2023 को मां ब्रह्माचारिणी की पूजा होगी। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से संयम और त्याग की भावना जागृत होती है, जो लक्ष्य प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी ने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन का मुहूर्त, शुभ योग और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि।

चैत्र नवरात्रि 2023 दूसरे दिन का मुहूर्त (Maa Brahmacharini Puja muhurat)

चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू – 22 मार्च 2023, रात 08.20

चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त – 23 मार्च 2023, रात 06.२०

चैत्र नवरात्रि 2023 दूसरे दिन के शुभ योग (Chaitra Navratri 2023 Day 2 Shubh yoga)

इंद्र योग – 23 मार्च, सुबह 06.16 – 24 मार्च, सुबह 03.43

सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja vidhi)

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनकर देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए। चूंकी ये तपस्या की देवी है और तपस्वी अधिकतर सफेद या पीला वस्त्र धारण करते हैं। वैसे माता रानी का प्रिय रंग लाल है लेकिन इस दिन देवी को सफेद वस्तुएं अर्पित करने से भाग्य चमक उठता है। माता को शक्कर या पंचामृत का भोग लगाएं और ऊं ऐं नम: मंत्र का 108 बार जाप करें. ध्यान रहे मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निराहर रहकर की जाती है तभी पूजा का फल मिलता है। कहते हैं नवरात्रि के दूसरे दिन इस विधि से पूजा करने पर जीवन के कठिन संघर्षों में भी व्यक्ति अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता और सफलता प्राप्त करता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन करें ये उपाय (Maa Brahmacharini Upay)

चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन माता को चांदी की वस्तु अर्पित करें। साथ ही इस दिन शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिए मां सरस्वती की उपासना करें। मान्यता है इससे बौद्धिक विकास होता है और करियर में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती। इनकी कृपा से भक्तों को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।