डिंडौरी: मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना (Kanya Vivah Yojana) विवादों में आ गई है। यहां सामूहिक विवाह से पहले युवतियों के स्वास्थ्य परीक्षण के नाम पर प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने का मामला सामने आया है। प्रेग्नेंसी टेस्ट सामूहिक विवाह समारोह सीएम कन्यादान योजना के तहत हो रहा था। इस योजना के लिए कई लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन 219 जोड़ों को ही इसका लाभ मिल पाया है। प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजिटिव आने पर जोड़ों के नाम लिस्ट से हटा दिए गए। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे युवतियों का अपमान बताया है।

इस घटना के बाद कांग्रेस प्रदेश सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह से सवाल पूछा है कि क्या यह समाचार सत्य है? यदि यह है तो बेटियों के घोर अपमान का यह आदेश किसने दिया?

कमलनाथ ने ट्वीट किया है कि इस मामले को सिर्फ प्रेग्नेंसी टेस्ट से सिर्फ और सिर्फ जोड़कर नहीं देखना चाहिए। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। अगर इस मामले में जो भी दोषी होंगे, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा भी मिलनी चाहिए। वहीं, इस मामले पर कांग्रेस विधायक ओमकार का कहना है कि यदि सरकार ने कन्यादान योजना में प्रेग्नेंसी टेस्ट करने को लेकर यदि कोई नियम बनाया है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए था।

कांग्रेस विधायक ओमकार के मुताबिक, जिले की युवतियों का घोर अपमान किया गया है. वहीं, बीजेपी जिलाध्यक्ष अवधराज बिलैया ने कन्यादान योजना को लोगों के लिए लाभकारी बताया है. उन्होंने कहा है कि ओमकार इस मुद्दे को सियासी रूप दे रहे हैं. बता दें कि डिंडौरी जिले के गाड़ासरई कस्बे में जिला प्रशासन की ओर से मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 219 जोड़ों का विवाह कराया गया है.

वहीं, इस मामले को लेकर बच्छरगांव की एक महिला बताती है कि उसने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में विवाह कराने के लिए एक फॉर्म भरा था। इसके बाद एक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मियों ने उसका मेडिकल टेस्ट किया। इस दौरान उसका प्रेग्नेंसी टेस्ट भी हुआ। महिला के मुताबिक, जब उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई तो लिस्ट से उसका नाम हटा दिया गया।