MAHANADI BHAVAN

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य गठन से पहले ही फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिये सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं। इसी तरह फर्जी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र जमा करके भी कई लोगों ने सरकारी नौकरी हासिल कर ली है। ऐसे ही लोगों के नाम उजागर हुए हैं, जिनके खिलाफ न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है।

डेढ़ दर्जन लोगों के नाम शामिल

सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने अध्यक्ष, राजस्व मण्डल, संभागायुक्तों, विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों, सीईओ, जिला पंचायतों को पत्र लिखा है। जिसमें हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका के हवाले से कहा गया है कि पिटिशन में उल्लेखित 18 शासकीय सेवक, जिनके विरूद्ध आरोप है कि वे गलत / फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। संबंधितों के विभाग द्वारा दिव्यांगता की पुष्टि के लिए पुन: मेडिकल बोर्ड से उनकी जांच कराई जाए। इसके लिए सचिव समाज कल्याण विभाग द्वारा इन 18 शासकीय सेवकों के मूल विभाग तथा आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र प्रेषित किया जाए।

इन कर्मियों की होगी मेडिकल जांच

1 जनवरी 2019 के पश्चात् नियुक्त हुए समस्त शासकीय सेवक जो दिव्यांग प्रमाण-पत्र के आधार पर शासकीय सेवा में कार्यरत हैं, के शारीरिक परीक्षण उपरांत दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की नियमानुसार मेडिकल बोर्ड से पुन: जांच कराई जाये। प्रत्येक विभाग / कार्यालयों में कार्यरत शासकीय सेवक जिनके विरुद्ध गलत / फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा प्राप्त किये जाने की शिकायत हुई है, के संबंध में नियमानुसार उनके दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच / सत्यापन कराया जाए।

GAD द्वारा यह भी कहा गया है कि शासकीय सेवा में नियुक्ति के पूर्व संबंधित मेडिकल बोर्ड से दिव्यांग प्रमाण पत्र / यूडीआईडी कार्ड का परीक्षण / सत्यापन अनिवार्य होगा। नियुक्ति के समय दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 के अनुवर्तन में दिव्यांग कोटे के अभ्यर्थियों से घोषणा-पत्र (स्वयं) अनिवार्य रूप से लिया जाये। फर्जी /गलत दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर जो भी शासकीय सेवा में कार्यरत हैं, के दिव्यांग प्रमाण पत्र को मेडिकल बोर्ड द्वारा गलत करार दिये जाने पर उनकी बर्खास्तगी की प्रकिया के संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति प्राप्त कर नोडल विभाग (समाज कल्याण विभाग) द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया जाये।

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