विशेष संवादाता
रायपुर। बीजेपी के 15 साल के सत्तारूढ़ रहते तक कांग्रेस का परचम अपने हाथ में थामने वाले नेता और कार्यकर्ताओं की मानमनौवल में जुटने लगे हैं कोंग्रेसी दिग्गज। खासकर प्रभारी कुमारी सेलजा को पीसीसी चीफ ने असलियत जाहिर कर दिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में जिन्होंने बीजेपी और जोगी कांग्रेस के लिए काम किया उन्हें इन साढ़े 4 सैलून में पद, सम्मान और सबकुछ मिला। लेकिन सत्ता में कांग्रेस को लेन के लिए बूथ, जिला, विधानसभा और संभाग स्तर में वफादारी से जुटने वालों की अनदेखी की गई।
पद, सम्मान तो दूर उनका एक भी काम सरकार आने के बाद नहीं हुआ। बताते हैं कि प्रशासनिक स्तर पर भी उनकी नहीं सुनी गई और शिकायत करने पर पार्टी नेता, मंत्री भी उदासीन रहे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक पीसीसी चीफ और छतीसगढ़ प्रभारी को यहां तक नाराज नेता और कार्यकर्ताओं ने कहा है कि 15 साल बीजेपी शासनकाल में उनका काम आसानी से हो जाता था जो अपनी ही सरकार आने के बाद उनकी अनदेखी की गई है।
ऐसे में उन्ही नेताओं, मंत्री, विधायकों और निगम, मंडल में बैठे लोगों के लिए 28 हजार बूथों को साधना, जुलाई से विधानसभा स्तरीय प्रशिक्षण में जिम्मेदारी निभाने के बाद फिर संकल्प शिविर में उन्हें जुटने के लिए बोलना कितना लाज़मी होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सत्ता और संगठन की नज़दीकियों का अंदाज़ा अंबिकापुर सम्मलेन के दौरान कांग्रेस के नंबर दो मंत्री टीएस सिंहदेव के भाषण से लग जाता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था सत्ता से संगठन दूर चला गया है। उनके कहने का मतलब था सत्ता और संगठन के बीच की दूरियां, नाराज़ नेता-कार्यकर्ताओं की नाराज़गी पार्टी के लिए चुनौतियां हैं।
उन्होंने सीधा संकेत दिया है कि विधानसभा चुनाव मिशन 2023 कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। अगर चुनाव परिणाम में 72 से सीटें काम हुईं तो कांग्रेस के दिग्गजों के लिए यह संकेत ठीक नहीं होंगे। ऐसे में ख़ुफ़िया एजेंसियां और बीजेपी के दावों का आंकलन भी कांग्रेस नेताओं की पेशानी में बल ला दिया है।
मंत्री करेंगे बूथ स्तर तक की नाराज़गी दूर
राज्य शासन के अहम् अंग के रूप में विभिन्न जिलों के प्रभारी की भूमिका से अलग अब चुनावी रणनीति के तहत मंत्रियों को विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी जाएगी। सीएम सहित मंत्रिमंडल के 13 सदस्यों में 90 विधानसभाओं को बांटा जाएगा। सभी मंत्री अपने प्रभार क्षेत्र में जाएंगे और बूथ कमेटियों की बैठक लेंगे। इस बैठक के जरिए कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की जाएगी। यह कुछ कुछ बीजेपी की चुनावी तैयारियों से मिलता जुलता कार्यक्रम होगा।
पार्टी नेताओं की आपसी दूरियां भी करेंगे दूर
छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा की कमांड में बड़े नेताओं के मध्य आपसी दूरियां समाप्त करने की कोशिशें तेज हो गई है। सम्मेलनों के जरिए इसी तरह का पैगाम भी देने की कोशिश की गई। विशेषकर सरगुजा संभाग की मीटिंग के बाद टीएस सिंहदेव का जो वीडियो सामने आया हैं, उससे पार्टी के अन्य नाराज़ नेताओं को भी खुलकर बोलने और मन हल्का करने के लिए प्रेरित किया गया है। ताकि आपसी समन्वय और संवाद में मतभेद या मनभेद न रहे। इसलिए अलग-अलग मंत्रियों के निवास पर बैठक की रणनीति कुमारी सेलजा ने बनाई। वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निवास पर डिनर के बाद बुधवार को प्रमुख नेता कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के निवास पर पहुंचना, वरिष्ठ नेता महंत के घर नाश्ता और आने वाले समय में ताम्रध्वज साहू के यहाँ बैठक रखने से दूरियां काम करने की कवायद ऐन चुनावी मौके पर कितनी सफल होगी यह वक्त बताएगा।