नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने नेहरू मेमोरियल म्यूजिमय एंड लाइब्रेरी के नाम में बदलाव किया है। अब नेहरू मेमोरियल को प्रधानमंत्री मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। वहीं, नाम बदलने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम के नाम बदलने को लेकर बकायदा नेहरू ममोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी में बैठक हुई। इस बैठक में नाम बदलने को लेकर प्रस्ताव रखा गया और इस पर विचार-विमर्श के बाद नाम बदलने पर मुहर लग गई। राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं। वहीं प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। इनके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर समेत 29 सदस्य इस सोसाइटी में शामिल हैं।

एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। साल 1948 में जब पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने तो तीन मूर्ति भवन उनका आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है।

वहीं, केंद्र के इस फैसले की कांग्रेस ने आलोचना की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। बीते 59 सालों से नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी वैश्विक बौद्धिकता का अहम स्थान और किताबों का खजाना रहा है। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के वास्तुकार के नाम और विरासत को विकृत, तिरस्कृत और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। असुरक्षाओं के बोझ तले दबे एक छोटे कद के व्यक्ति स्वयंभू विश्वगुरु हैं।

उल्लेखनीय है कि, साल 2016 में पीएम मोदी ने एक प्रस्ताव रखा था कि तीन मूर्ति परिसर में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। उसी साल 25 नवंबर को एनएमएमएल की 162वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।