गुवाहाटी। असम में आई बाढ़ का कहर जारी है। बाढ़ से असम की करीब 11 हजार हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। इससे राज्य में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। बाढ़ के चलते सप्लाई चेन भी प्रभावित हुई है। इसकी वजह से भी राज्य में खाने-पीने के अन्य सामान की किल्लत हो गई है और चीजें महंगे दामों पर मिल रही हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, असम में आई बाढ़ से अभी तक 19 जिलों के करीब 4.89 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। बीते 24 घंटे में बाढ़ से नलबाड़ी जिले में एक व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की बाढ़ रिपोर्ट के अनुसार, अकेले बजाली जिले में लगभग 2.67 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। इसके बाद नलबाड़ी में 80061 लोग, बारपेटा में 73233 लोग, लखीमपुर में 22577 लोग, दरांग में 14583 लोग प्रभावित बताए जाते हैं। इसके अलावा तामुलपुर में 14180 लोग, बक्सा में 7282 लोग और गोलपारा जिले में 4750 लोग प्रभावित हैं। असम की इस बाढ़ ने 1,538 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है।

90 हजार किसान परिवार प्रभावित
असम सरकार की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, बजाली, बक्सा, बारपेटा, बिश्वनाथ, बोंगाईगांव, चिरांग, दरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, गोलपारा, गोलाघाट, कामरूप, कोकराझार, लखीमपुर, नागांव, नलबाड़ी, तामुलपुर और उदलगुरी जिलों के 54 राजस्व मंडलों के अंतर्गत 1,538 गांव प्रभावित हुए हैं। करीब 90,000 किसान परिवार प्रभावित हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दरांग जिले में सबसे ज्यादा 5244 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ से प्रभावित है। दरांग जिले के 323 गांवों के 31,725 परिवार बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। इसी तरह, धूबरी में 1984.18 हेक्टेयर, कोकराजहर में 911.54 हेक्टेयर, बक्सा में 866.36 हेक्टेयर, बोंगैगांव में 544.50 हेक्टेयर, चिरान्ट में 196 हेक्टेयर, चिरांग में 120 हेक्टेयर, उदलगुड़ी में 568 हेक्टेयर और लखीमपुर में 315 हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई है। इसके अलावा कई अन्य जिलों में भी कमोबेश कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में आ गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार, बाढ़ से 1083.80 हेक्टेयर आहू और बोरो चावल की खेती प्रभावित हुई है। इसी तरह, 71.50 हेक्टेयर भूमि पर नियमित आहू धान की खेती, 4314 हेक्टेयर भूमि पर बाओ-शाली धान के साथ-साथ शाली धान के बीज भी बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके अलावा 362 हेक्टेयर भूमि पर ग्रीष्मकालीन मक्के की खेती, 26 हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल मक्के की खेती और 164 हेक्टेयर भूमि पर तेलहन की खेती बाढ़ से प्रभावित हुई है। इस बीच, 435.75 हेक्टेयर भूमि पर ग्रीष्मकालीन दलहन की फसल भी जलभराव से क्षतिग्रस्त हो गई।

फलों की खेती को भी नुकसान
आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ से 2,295 हेक्टेयर में जूट, 141.20 हेक्टेयर में गन्ना, 228 हेक्टेयर में रबी सब्जियां, 2178 हेक्टेयर में खरीफ सब्जियां और 44.60 हेक्टेयर में मसाला फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसके साथ ही 61.20 हेक्टेयर भूमि पर फलों की खेती को भी नुकसान हुआ है। वहीं बक्सा में 9105, बिस्वनाथ में 3236, बोंगाईगांव में 5321, चिरांग में 120, दरांग में 31,725, धेमाजी में 58, धुबरी में 9088, डिब्रूगढ़ में 1439, गोलाघाट में 431, होजाई में 504 और कामरूप में 67 किसानों को नुकसान होने की सूचना है।

खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदी
इसके अलावा कोकराझार में 9277, लखीमपुर में 3552 किसान परिवार, माजुली में 136, नगांव में 62, नलबाड़ी में 7388, सोनितपुर में 2782 और उदलगुरी में 2,135 किसान परिवार प्रभावित हुए हैं। मूसलाधार बारिश के बाद, ब्रह्मपुत्र नदी का जल स्तर जोरहाट जिले के नेमाटीघाट और धुबरी में खतरे के स्तर के निशान से ऊपर बह रहा है। मानस नदी एनएच रोड क्रॉसिंग पर, पगलाडिया नदी एनटी रोड क्रॉसिंग पर और एनएच रोड क्रॉसिंग पर पुथिमारी नदी।

140 राहत शिविर केंद्र स्थापित
वहीं, जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित 14 जिलों में 140 राहत शिविर और 75 राहत वितरण केंद्र स्थापित किए हैं। इन राहत शिविरों में 35142 लोगों ने शरण ली है। दूसरी ओर, कई अन्य लोगों ने सड़कों, ऊंचे इलाकों और तटबंधों पर शरण ली है। एएसडीएमए बाढ़ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 4,27,474 घरेलू जानवर भी बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं और नागरिक सुरक्षा कर्मी विभिन्न बाढ़ प्रभावित जिलों में बचाव अभियान में लगे हुए हैं। दूसरी ओर, पिछले 24 घंटों में बाढ़ के पानी ने 1 तटबंध को तोड़ दिया और 14 अन्य तटबंधों, 213 सड़कों, 14 पुलों, कई कृषि बांधों, स्कूल भवनों, सिंचाई नहरों और पुलियों को क्षतिग्रस्त कर दिया।