इंटरनेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काहिरा में ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने खुद पीएम को सम्मानित किया। ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान है। काहिरा में पीएम नरेंद्र मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी से मुलाकात की और कई द्विपक्षीय समझौतें ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

पीएम मोदी ने आज रविवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान और अल-हकीम मस्जिद का दौरा किया। अल-हकीम मस्जिद काहिरा में 11वीं सदी का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है। इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है। प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया। मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था।
अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है। मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है। मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने पहले कहा था कि भारत में बस गए बोहरा समुदाय का संबंध फातिमिया से है। उन्होंने कहा था कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है। गुप्ते ने कहा था कि प्रधानमंत्री का बोहरा समुदाय से बहुत गहरा लगाव है जो कई सालों से गुजरात में भी हैं।
वहीं, पीएम मोदी ने रविवार को काहिरा के हेलियोपोलिस युद्ध कब्रिस्तान का दौरा कर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। मोदी ने कब्रिस्तान में शहीद भारतीय सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की और वहां रखी आगंतुक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। इस कब्रिस्तान में हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक और हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक शामिल हैं।
हेलियोपोलिस (पोर्ट तौफीक) स्मारक उन लगभग 4,000 भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मिस्र और फलस्तीन में लड़ते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी। वहीं, हेलियोपोलिस (अदन) स्मारक राष्ट्रमंडल देशों के उन 600 से अधिक जवानों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अदन में लड़ते हुए शहीद हो गए थे।
क्या है ‘Order of the Nile’ अवार्ड?
ऑर्डर ऑफ द नाइल (किलादत एल निल) की स्थापना 1915 में मिस्र के सुल्तान हुसैन कामेल ने की थी इसकी स्थापना देश के लिए उपयोगी सेवा प्रदान करने वाले व्यक्तियों को पुरस्कार देने के लिए की गई थी। 1953 में राजशाही समाप्त होने तक यह मिस्र साम्राज्य के प्रमुख आदेशों में से एक था। 1953 में मिस्र के गणतंत्र बनने के बाद यहां के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ द नाइल को पुनर्गठित किया गया था। ऑर्डर ऑफ़ द नाइल एक शुद्ध सोने का कॉलर है जिसमें तीन वर्गाकार सोने के टुकड़े होते हैं फ़ारोनिक और इनपर प्रतीक होते हैं।