रायपुर। रेलवे निजीकरण की ओर बढ़ रहा है। रेलवे के हाथ से अब जनरल टिकट काउंटर निकल रहे हैं। रायपुर रेल डिवीजन के दो मुख्य स्टेशन तिल्दा और भिलाई-3 के टिकट काउंटर निजी हाथों में सौंप दिए गए। इसके साथ ही उन काउंटरों पर अब रेलवे के बाबुओं की ड्यूटी लगनी बंद हो गई है। बता दें कि ये दोनों ऐसे स्टेशन हैं, जहां से होकर हर दिन 120 ट्रेनों की आवाजाही होती है।

रेलवे सूत्रों के अनुसार धीरे-धीरे रेलवे के हाथ से टिकट काउंटर निकलते जाएंगे। अब रेलवे कर्मचारी लगातार सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उन पदों पर नई भर्तियां नहीं हो रही हैं। ऐसे में कर्मचारियों की कमी बताकर निजीकरण का रास्ता साफ हो रहा है। माना जा रहा है कि अभी भिलाई और तिल्दा स्टेशन के जनरल टिकट काउंटरों का निजीकरण हुआ है। तर्क ये दिया जा रहा है कि यहां टिकट बिक्री कम थी।

सरस्वती स्टेशन में एजेंट, रायपुर में लंबी कतारें : रायपुर स्टेशन से होकर जितनी ट्रेनें आती और जाती हैं, उतनी ही ट्रेनें इन दोनों स्टेशनों से भी चलती हैं। निम्न और मध्यम वर्ग के अधिकांश यात्री सबसे अधिक लोकल से लेकर एक्सप्रेस, मेल ट्रेनों का जनरल टिकट लेकर ही सफर करते हैं।

इन शर्तों पर ठेका देने का बना प्लान

रेलवे टिकट काउंटरों को ठेके पर देने का पूरा खाका तैयार है। 1 रुपए से 20 हजार तक टिकट बिक्री पर 25 प्रतिशत, 2001 रुपए से 1 लाख रुपए तक ब्रिकी पर 15 प्रतिशत कमीशन देने की शर्तें तय की गई हैं। इसी आधार पर स्टेशन के जनरल टिकट काउंटरों को ठेके पर देने की शुरुआत हुई है। जबकि 1 लाख से अधिक टिकट बिक्री पर 4 प्रतिशत कमीशन निर्धारित है। ऐसी शर्तें रेलवे बोर्ड की हैं, उस पर रेल डिवीजनों को अमल करना है।

रेलवे की शर्तों पर तिल्दा और भिलाई स्टेशन के जनरल टिकट काउंटर निजी हाथों में दिए गए हैं। इन दोनों जगहों के टिकट बाबुओं का उपयोग दूसरी जगह हो रहा है। सरस्वतीनगर, डब्ल्यूआरएस जैसे हॉल्ट स्टेशनों में एजेंट रखे गए हैं।
डॉ. विपिन वैष्णव, सीनियर डीसीएम रायपुर

रेलवे के हर सेक्शन में कर्मचारियों की कमी है। उस हिसाब से भर्तियां नहीं हो रही है। स्टॉफ की कमी का बहाना बनाकर धीरे-धीरे निजीकरण की ओर रेलवे बढ़ रहा है। इसे लेकर रेलवे मजदूर कांग्रेस ने विरोध दर्ज कराया है।

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