नई दिल्ली। अपने विवादित बयान के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान देकर अपनी मुश्किलें बढ़ा ली है। इस बार उन्होंने आरएसएस के खिलाफ विवादित बयान दिया है। दिग्विजय सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि धूमिल करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।

कांग्रेस नेता पर सोशल मीडिया के जरिए आरएसएस की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से द्वितीय संरसंघ चालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर की तस्वीर के साथ मिथ्या और अनर्गल पोस्ट प्रसारित करने का आरोप लगा हुआ है। उनके खिलाफ इंदौर के तुकोगंज थाने में आईपीसी की धार 153 ए, 469 ,500,505 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट करते हुए लोगों से गोलवलकर की विचारधारा को जानने का अपील की थी। इसके लिए उन्होंने एक एक कटिंग भी शेयर की थी जिसमें कथित तौर पर गोवलकर की ओर से कही गई लाइनें लिखी गई है।

कटिंग में गोवलकर को कथित तौर पर अंग्रेजों की गुलामी के लिए तैयार रहने और दलितों-पिछड़ों और मुसलमानों को मिलने वाले अधिकार का विरोधी बताया गया था। दिग्विजय सिंह के खिलाफ यह केस इंदौर रहने वाले एक वकील और संघ के कार्यकर्ता राजेश जोशी की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है। जोशी ने अपने शिकायत में दिग्विजय सिंह की ओर से जारी पोस्टर को विवादित करार दिया था। उन्होंने पोस्टर को हिन्दुओं-मुसमानों और दलितों के बीच उकसाने वाला करार देते हुए गोलवलकर का अपमान बताता था।


धार्मिक मान्यताओं को आहत पहुंचाने का आरोप
मध्य प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक, गोलवलकर को लेकर दिग्विजय सिंह की पोस्ट कथित तौर पर संघ कार्यकर्ता के साथ-साथ पूरे हिंदु समुदाय की धार्मिक मान्यताओं को आहत करती है। वहीं, संघ के एक स्थानीय पदाधिकारी ने कहा है कि दिग्विजय सिंह ने संगठन की छवि को खराब करने के लिए गोलवलकर के बारे में झूठा और अनुचित पोस्ट किया है।


गोलवलकर की किताब का दिया हवाला
कांग्रेस नेता की ओर से जारी पोस्टर में सदाशिव राव गोलवलकर द्वारा लिखी गई किताब ‘वी एंड अवर नेशनहुड आईडेंटिफाइड’ का हवाला देते हुए कथित तौर पर लिखा गया है कि जब भी सत्ता हाथ लगे तो सबसे पहले सरकार की धन की संपत्ति, राज्यों की जमीन और जंगल पर अपने दो-तीन विश्वसनीय धनी लोगों सौंप दें। 95 फीसदी जनता को भिखारी बना दे उसके बाद सात जन्मों तक सत्ता हाथ से नही जाएगी।