नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर करीब 23 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट में दो अगस्त से रोजाना सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले में अपना फैसला सुनाएगी। इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सभी पक्षकारों को 27 जुलाई तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा।

दो अगस्त से लगातार होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का कहना है कि याचिकाओं की सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना आधार पर होगी। वहीं, कोर्ट ने सुनवाई को आसान बनाने के लिए दो अधिवक्ताओं को नोडल वकील के रूप में भी नियुक्त किया है।
शेहला रशीद की याचिका स्वीकार
इसके साथ ही अदालत ने शेहला रशीद को अनुच्छेद 370 को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने की याचिका स्वीकार कर ली है, जबकि आईएएस अधिकारी शाह फैसल को लिस्ट से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन करने को कहा है।
केंद्र सरकार ने किया अनुच्छेद 370 का बचाव
इससे पहले, केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का बचाव किया है। केंद्र ने अदालत में ताजा हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पूरे क्षेत्र ने शांति, विकास और संपन्नता का अभूतपूर्व युग देखा है। अनुच्छेद 370 निरस्त करने के ऐतिहासिक संवैधानिक कदम से क्षेत्र में विकास, प्रगति, सुरक्षा और स्थिरता आई है जो अनुच्छेद-370 लागू रहने के दौरान नदारद थी।
जम्मू-कश्मीर में सुधरी सुरक्षा की स्थिति
बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व स्थिरता का दौर है। तीन दशकों की उथल-पुथल के बाद क्षेत्र में जीवन सामान्य हो गया है। राज्य में लगातार प्रगति हो रही है। तीन वर्षों में स्कूल, कॉलेज और अन्य सार्वजनिक संस्थान कुशलता से काम कर रहे हैं। पत्थरबाजी अतीत की बात हो गई है। अब घाटी के लोगों को भी वह अधिकार प्राप्त हैं, जो देश के दूसरे प्रांतों के लोगों को हैं। आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडे के तहत 2018 में पत्थर फेंकने की 1,767 घटनाएं हुईं, जो 370 हटने के बाद 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं।