रायपुर। सबकुछ सुनाई देने के बाद भी 56 लोग श्रवण बाधित का फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी विभागों में मौज कर रहे हैं। इनमें से अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर काम कर रहे हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं।

बता दें कि राज्य शासन की ओर से 2016 और 2018 में दिव्यांगों की विशेष भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके तहत सबसे पहले ग्रामीण कृष विस्तार अधिकारी पद के लिए भर्ती हुई। इसमें 50 ऐसे लोगों की नियुक्ति हुई है जिन्होंने श्रवण बाधित होने का फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया है।

वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पद काम कर रहे हैं। इन्होंने भी श्रवण बाधित का फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र चयन को दौरान प्रस्तुत किया है। मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है। दिव्यांगों के हित में काम करने वाले संघ छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ का इस मामले में कहना है कि प्रमाण पत्र में सिर्फ 56 लोगों के नाम सामने आए हैं। अगर इस मामले की गंभीरता से जांच होती है तो इनकी संख्या हजारों में निकल सकती है। इस मामले में उन्होंने राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने की मांग की हैय़

दिव्यांग सेवा संघ ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवा कर नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों की सूची सिविल लाइन थाने में सौंपने की तैयारी है। वहीं इस मामले में प्रदेशभर के आला अधिकारियों से भी इसकी शिकायत की गई है।

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राधाकृष्ण गोपाल ने आरोप लगाया है कि ये सभी अधिकांश प्रमाण पत्र बिलासपुर और मुंगेली में पदस्थ दो डाक्टरों के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं।

2016 और 2018 में हुई भर्ती की सूची में एक और बात सामने आई है इनमें से अधिकांश चयनित उम्मीदवार राजपूत, सिंह और राठौर सरनेम के हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी बिलासपुर, मुंगेली और जांजगीर-चांपा जिले के निवासी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाण पत्र भी जांजगीर-चांपा जिले से बनाए गए है।

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