जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में रौतिया समाज ने मंगलवार को अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर नेशनल हाइवे 43 पर चक्काजाम कर दिया। 50 सालों से जनजातीय समाज की सूची से कटे रौतिया समाज के लोगों ने आज हजारों की संख्या में रैली निकालकर प्रदर्शन किया। इस शक्ति प्रदर्शन में प्रदेश समेत असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखण्ड और मध्यप्रदेश का रौतिया समाज भी शामिल है। समाज के लोग सरकार से अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

समाज के नेताओं का कहना है कि वे विशुद्ध रूप से अनुसूचित जनजाति मूल के हैं, जिसके कई प्रमाण मौजूद है। मगर सरकार इनकी सुनती नहीं इसलिए आज उन्हें शक्ति दिखाने की जरूरत पड़ी। उन्होंने कहा कि, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र रौतिया जनजाति” दर-दर की ठोकर खाने मजबूर है। छत्तीसगढ़ निर्माण की संकल्पना यहां निवासरत अनुजन जातियों के सर्वागिण विकास के लिए किया गया था, लेकिन छत्तीसगढ़ बनने के 23 वर्ष बाद भी आदिवासीयों की समस्या जस की तस धरी पड़ी है।

संवैधानिक अधिकारों से वंचित
छत्तीसगढ़ में 42 जनजाति समुदाय निवासरत हैं, जिसका हर समुदाय का अपना एक अलग रीति-रिवाज, संस्कृति बोली भाषा रहन-सहन खान-पान पहनावा सभी भिन्न-भिन्न है। फिर भी ये जनजाति समुदाय एक साथ भाई-चारे के साथ निवासरत है। आज भी ये 42 समुदाय के साथ छोटी-छोटी आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा स्वास्थ्य, रोजगार जैसी विकराल सस्याऐं खड़ी है। ऐसी ही समस्याओं में से एक बहुत गंभीर समस्या जनजाति समुदाय के लिए घातक साबित होता जा रहा है। छग राज्य बनने के बाद जाति के लिखावट उच्चारण विभेद, मात्रात्मक त्रुटि और कुछ जातियां जनजाति होने के बाद भी उसको सूची में शामिल नहीं किया गया। इसके कारण 20-25वर्षों से आदिवासी होते हुए भी जनजाति लोगों को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है। इनमें से रौतिया समाज प्रमुख है। जनजाति सन् 1872 से ले करके अब तक के समस्त रिकार्ड, शासकीय अभिलेख आदि में रौतिया जाति को जनजाति ट्राइबस कहा गया है।

राय बहादुर और रसेल ने रौतिया जनजाति को प्रिमिटीव ट्राईब कहा
राय बहादुर हीरालाल और रसेल ने रौतिया जनजाति को प्रिमिटीव ट्राईब कहा। आजादी के पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य की ओर से राजपत्र में प्रकाशित THE KING’S MOST EXCELLENT MAJESTY IN COUNCIL 1936 (Govt. of India) में Central Provinces & Berar के लिए 36 आदिवासी समुदाय अनुसुचित जनजाति की सूचि में सूचिबध्द किया गया था, जिसमें रौतिया जनजाति एक है। 4 अगस्त 1948 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने डीबेट में Constituent Assembly Debates on 4 November, 1948 Part 1 CONSTITUENT ASSEMBLY OF INDIA VOLUME VII प्रस्ताव 36 जातियों के लिए दिया गया था। इसमें रौतिया जाति भी एक था, लेकिन 1950 की सूचि में कुल 34 आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित कर दिया गया। इसमें रौतिया जनजाति और ओझा जनजाति को सूचि से पृथक कर दिया गया।