गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में मलेरिया से दो बच्चों की मौत हो गई है। इससे इलाके में हड़कंप मच गया है। शुक्रवार सुबह 6 बजे छोटे गोबरा निवासी वीरेंद्र नागवंशी के 11 साल के बेटे डिगेश्वर ने दम तोड़ दिया है। ग्राम सरपंच राम स्वरूप मरकाम ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी। वहीं, 19 जुलाई को भी एक बच्ची की मौत मलेरिया से हो गई थी। वहीं, मलेरिया से हुई 2 मौतों ने मैनपुर स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार, 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले डिगेश्वर नागवंशी की तबियत बिगड़ने पर बुधवार को स्वास्थ्य कार्यकर्ता अनीता वर्मा ने किट से जांच कर बच्चे को मलेरिया होने की पुष्टि की थी। अब डिगेश्वर नागवंशी की मौत स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से होने की बात सामने आ रही है। मितानिन की जांच में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए डिगेश्वर का इलाज ठीक से नहीं किया गया। उसे अस्पताल तक ले जाना जरूरी नहीं समझा गया, केवल थोड़ी-बहुत दवा देकर घर भेज दिया गया। उचित इलाज के अभाव में बच्चे ने आज दम तोड़ दिया। अब उसकी मौत के बाद दोबारा स्वास्थ्य विभाग जांच करने की बात कह रहे हैं। वहीं बीएमओ गजेंद्र ध्रुव इस मामले में कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए।

एक और बच्ची की मलेरिया से हो चुकी मौत
उल्लेखनीय है कि, 19 जुलाई को भी छोटे गोबरा गांव में छठवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा योगिता की मौत मलेरिया से हो गई थी। परिजनों ने बताया कि योगिता की तबियत 16 जुलाई से बिगड़ रही थी। इसके बाद उसकी मलेरिया जांच कराई गई थी। 17 जुलाई को गांव की मितानिन ने जांच में मलेरिया की पुष्टि होने की जानकारी दी। तबियत बिगड़ने पर परिजनों ने मैनपुर 108 संजीवनी एक्सप्रेस को कॉल किया, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद परिजन बच्ची को धमतरी जिले के नगरी स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए और वहां भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान बच्ची ने 19 जुलाई को दम तोड़ दिया।

BMO ने बच्ची की मौत मलेरिया से होने से किया इंकार
इधर मैनपुर स्वास्थ्य विभाग की गैर जिम्मेदारी इतनी कि मलेरिया रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बावजूद BMO गजेंद्र ध्रुव ने योगिता की मौत मलेरिया से होने की बात को खारिज कर दिया। मैनपुर स्वास्थ्य विभाग ने 20 जुलाई को जब गांव में शिविर लगाकर लोगों की जांच की, तो 120 लोगों में से 5 मलेरिया पॉजिटिव पाए गए।

ग्रामीणों में आक्रोश
बता दें कि, आदिवासी बहुल मैनपुर में बरसात शुरू होते ही मलेरिया का कहर शुरू हो जाता है, लेकिन ब्लॉक स्तर के अधिकारी लापरवाह बने रहते हैं। दो दिन में हुई 2 आदिवासी बच्चों की मौत के बाद यहां ग्रामीणों में आक्रोश देखा जा रहा है। मैनपुर ब्लॉक में इस साल जुलाई माह में अब तक 47 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि जनवरी से अब तक पॉजिटिव मरीजों की संख्या 61 है। पिछले साल 2022 में 261 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए थे। जिले में सबसे अधिक मलेरिया के मरीज मैनपुर ब्लॉक में पाए गए हैं।