भोपाल। चीता प्रोजेक्ट भारत सरकार का बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, इसी के तहत पिछले साल नामीबिया से 10 चीते मंगाए गए थे। हालांकि, एक के बाद एक हो रही चीतों की मौतों से वन विभाग के अफसर भी हैरान हैं।  लगातार हो रही चीतों की मौतों की वजह से कुनो नेशनल पार्क के अफसर चिंता में हैं। अब चीतों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। इसी वजह से चीतों को जंगल से अब बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा है। मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कुनो नेशनल पार्क में अब पर्यटक चीतों का दीदार नहीं कर पाएंगे।


बीते 4 महीने में कुनो में आठ चीतों की मौत हो चुकी है। यही वजह है कि अब चीतों की मेडिकल जांच होगी। हालांकि, इससे पहले मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र में 10 बाघों की भी मौत हो चुकी है। बाघों की मौत पर पशु चिकित्सकों का कहना था कि उनकी प्राकृतिक रूप से मौतें हुई हैं।


चीतों के स्वास्थ्य की होगी जांच
बताया जा रहा है कि पहले से ही चार चीते बाड़े में बंद हैं। इनके स्वास्थ्य को लेकर कुनो नेशनल पार्क के अफसरों का कहना है कि ये सभी स्वस्थ हैं. जो जंगल में घूम रहे हैं, उन्हीं चीतों के स्वास्थ्य की जांच होगी । चीतों की पहचान के लिए उनके गले में कॉलर आई डी लगाई गई है। बताया जा रहा है कि चीतों के गले से ये आई डी हटाई जाएगी, ताकि कोई अगर कोई जख्म हो तो उसकी मरहम पट्टी हो सके।


दक्षिण अफ्रीका की सरकार से हुई थी डील
वन विभाग के अफसर बताते हैं कि पहले भारत में चीतों की संख्या काफी अधिक थी. लेकिन, फिर उनकी संख्या घटने लगी. साल 1952 में भारत में पूरी तरह से चीते विलुप्त हो चुके थे.चीतों के विलुप्त होने की एक वजह ये भी आई कि उनका मनोरंजन के लिए खूब शिकार हुआ। इसके बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका सरकार के बीच एक डील हुआ, जिसके तहत पिछले साल नामिबिया से भारत चीते लाए गए थे।