जगदलपुर। प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग जीवन का प्रमुख हिस्सा बन गया है और इसके उपयोग के बिना वतर्मान परिवेश में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। भारी तादाद में प्लास्टिक के उपयोग पर्यावरण को काफी प्रदूषित कर रहा है जो मानव समाज के लिए काफी नुकशान दायक है। ऐसे में प्लास्टिक और पालिथीन का निष्पादन आवश्यक हो गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बस्तर जैसे पिछड़े माने वाले अंचल में जल्द ही प्रदेश का पहला सरकारी नियंत्रण का प्लास्टिक रिसाइक्लिंग प्लांट की स्थापना होने जा रही है।
इस प्लांट के लगने से जहां गांव व शहर को गंदगीमुक्त करने का ध्येय पूरा होगा। वहीं चार सौ से अधिक लोगों के लिए रोजगार का सृजन होगा। शहर से लगे ग्राम बाबू सेमरा में जिला प्रशासन की पहल पर 22 हजार हेक्टेयर में चार करोड़ की लागत से बन रहे रिसाइक्लिंग प्लांट में पहले चरण में एमआरसी (मल्टी रिकवरी सेंटर) में अब तक करीब 90 टन प्लास्टिक वेस्टेज समूहों से खरीदा जा चुका है। फिलहाल रा मटेरियल हैदराबाद व दिल्ली के रिसाइक्लर को बेचा जा रहा है। बारिश के बाद प्रोडक्टशन यूनिट शुरू करने की तैयारी की जा रही है। के विजय दयाराम कलेक्टर बस्तर ने कहा कि प्लांट की अधोसंरचना पूर्ण की जा चुकी है। फिलहाल एंजेसी बेहतर संचालन कर रही है। उम्मीद है कि बारिश के बाद प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। अगले वित्तीय वर्ष से प्लांट का संचालन प्रशासन के माध्यम से होगा। प्रदूषण मुक्त भारत की दिशा में छह माह पहले जिला प्रशासन व नगर पालिक निगम ने गांवों व शहर को कचरा मुक्त करने के ध्येय से बेहतर कचरा प्रबंधन व प्लास्टिक रिसाइलिलिंग प्लांट स्थापना की योजना बनाई थी। ग्राम पंचायत के सहयोग से सेमरा में 40 लाख की लागत से प्लांट हेतु शेड बनाया गया है। आरंभिक तौर पर इसकी शुरूआत एमआरसी (मल्टी रिकवरी सेंटर) के रूप में की गई है। समितियों से खरीदे गए वेस्टेज की प्लांट में मौजूद उपकरण कन्वेयर बेल्ट सेडर व बेलिंग मशीन की मदद से कचरे की छंटाई कर उसे हैदराबाद व दिल्ली के रिसाइक्लर्स को बेचा जा रहा है।
बरसात के बाद हैदराबाद या दिल्ली से नई मशीनें आने पर यहां आगामी चरण में एमआरएफ (मटेरयिल रिकवरी फेसिलिटी) के तहत खेती हेतु स्पिंक्रलर पाइप, छिड़काव पंप, कुर्सियां आदि का प्रोडक्ट तैयार किया जाएगा। बताया गया कि इसके लिए एमएलपी व एलडी श्रेणी की पतली पन्नी के वेस्ट का उपयोग किया जाएगा।
50 गांवों से लिया जा रहा कचरा
योजना के तहत निगम क्षेत्र समेत तीस ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया है। शहर के महिला समूहों के एसआएलएम कचरा संग्रहण केंद्रों समेत 50 गांवों की महिला समितियों से प्लास्टिंग वेस्ट मटेरियल करीब नौ रुपये से 15 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदा जा रहा है। गांवों में ई रिक्शा की मदद से कचरा लाया जा रहा है। अप्रैल से अब तक करीब 100 टन कचरे की खरीदी की जा चुकी है। बेहतर कचरा प्रबंधन के लिए स्वच्छ भारत दिवस पर ग्राम पंचायत के उप सरपंच रामेश्वर बिसाई व जनपद सीईओ को दिल्ली में जल संसाधन व स्वच्छता विभाग ने सम्मानित किया है।
इंदौर की कंपनी कर रही संचालन
प्लांट संचालन हेतु फिलहाल इंदौर की कंपनी सृष्टि वेस्ट मैनेजमेंट प्रालि को जिम्मा सौंपा गया है। कंपनी के प्रोजेक्ट इंचार्ज विजय सिंह ने बताया कि प्लांट में सुचारू रूप से उत्पाद होने के बाद इसका संचालन जिला प्रशासन के सहयोग से प्रशिक्षित समिति करेगी। इसके लिए उन्हें हैदराबाद में अंतिम रूप से तकनीकी ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। बारिश उपरांत प्रोडक्शन यूनिट शुरू की जाएगी।
वेडिंग मशीन लगाकर कर रहे प्रोत्साहन
कचरा प्रबंधन की दिशा में जिला प्रशासन ने पर्यटन स्थलों आईलैड व चित्रकोट में दो वेंडिंग मशीन लगवाए हैं। इसमें प्लास्टिक बोतल आदि डालने पर एक कूपन मिलता है, जिसे किसी भी पर्यटन समिति के टी हाउस अथवा रेस्टोरेंट में इनकैश करवाया जा सकता है।

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