भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जबकि चीन अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की नंबर-1 इकोनॉमी बन चुकी है। जापान और रूस भी इस मामले में भारत से पीछे हैं। जबकि जर्मनी, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देश टॉप-10 की लिस्ट में शामिल है।

दरअसल इकोनॉमी के साइज का ये कैलकुलेशन परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से किया गया है। इस हिसाब से टॉप-5 देशों में चीन नंबर-1 इकोनॉमी है। वहीं अमेरिका दूसरी, भारत तीसरी, जापान चौथी और रूस पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है।

कितनी बड़ी है भारत की इकोनॉमी ?

वर्ल्ड ऑफ स्टैटिसटिक्स के डेटा के हिसाब से परचेजिंग पावर पैरिटी के हिसाब से भारत की इकोनॉमी का साइज 11.8 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि चीन की इकोनॉमी 30.3 ट्रिलियन डॉलर और अमेरिका की 25.4 ट्रिलियन डॉलर की है. इस तरह चीन इस लिस्ट में नंबर-1 और भारत तीसरे नंबर पर है।

वहीं जापान की इकोनॉमी 5.7 ट्रिलियन डॉलर के साथ चौथे नंबर पर और रूस की 5.32 ट्रिलियन डॉलर के हिसाब से पांचवे नंबर पर है। इस लिस्ट में जर्मनी 6वें (5.3 ट्रिलियन डॉलर), इंडोनेशिया 7वें (4.03 ट्रिलियन डॉलर), ब्राजील 8वें (3.83 ट्रिलियन डॉलर), फ्रांस 9वें (3.77 ट्रिलियन डॉलर) और ब्रिटेन 10वें (3.65 ट्रिलियन डॉलर) नंबर पर है।

क्या होता है परचेजिंग पावर पैरिटी?

इकोनॉमी की दुनिया में ये परचेजिंग पावर पैरिटी किसी देश की करेंसी की वैल्यू के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी देती है। ये किसी देश की करेंसी की परचेजिंग पावर के बारे में बताती है, इसका कैलकुलेशन अनिवार्य वस्तुओं की एक बास्केट के हिसाब से होता है। इस बास्केट में अमूमन उन वस्तुओं को शामिल किया जाता है जो जीवन यापन के लिए अनिवार्य हैं और फिर करेंसी की वैल्यू के हिसाब से देखा जाता है कि किस देश की करेंसी से इस बास्केट का कितना सामान खरीदा जा सकता है।

उदाहरण के लिए अगर भारत में 100 रुपये के अंदर जितना सामान खरीदा जा सकता है, उतना ही सामान खरीदने के लिए अमेरिका के कितने डॉलर चाहिए, यही परचेजिंग पावर पैरिटी है।