नेशनल डेस्क। चंद्रयान-3 चंद्र मिशन के सफल समापन और भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य एल1 के लॉन्च के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपनी अगली बड़ी परियोजना गगनयान मिशन के लिए तैयारी कर रहा है। ऐसी उम्मीद है कि इसरो अक्टूबर महीने में देश के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट की परीक्षण उड़ान करेगा। अभी इसरो के पास भारी वजन वाले LVM-3 रॉकेट हैं, जिन्हें मानव-रेटेड लॉन्च वाहन (HRLV) बनाने पर काम किया जा रहा है। इसे भविष्य में क्रू मॉड्यूल और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम बनाया जा रहा है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक राजराजन ने इस नए मिशन की अहम जानकारियां साझा की हैं।

अभी चल रही मानव रेटेड वाहन (HRLV) बनाने की तैयारी

इसरो दो महीनों के भीतर चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 की सफलता के बाद एक और बड़ी परियोजना गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है। एसएचएआर के निदेशक राजराजन ने इंडिया से बातचीत में कहा, “LVM3 को HRLV कहा जाएगा क्योंकि हम वाहन को मानव रेटिंग दे रहे हैं। इसे मानव रेटेड वाहन (HRLV) बनाने की तैयारी चल रही है। हमे अपने काम में यह सुनिश्चित करना सबसे जरूरी है कि मिशन के दौरान किसी भी चरण में कोई भी विसंगति आने पर क्रू एस्केप सिस्टम क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित दूरी पर ले जाया जाए।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी प्रणालियों को उच्च सुरक्षा मार्जिन के साथ विकसित किया जाएगा, ताकि मिशन फेल न हों। यह सुनिश्चित करने के लिए एक क्रू एस्केप सिस्टम लागू किया जाएगा जो किसी भी विसंगति के मामले में क्रू मॉड्यूल को लॉन्च वाहन से सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सकेगा। आपात्कालीन स्थिति के लिए भी हम तैयार हैं, इसके लिए क्रू मॉड्यूल को समुद्र में गिरने के लिए तक के लिए डिज़ाइन किया गया है।

क्या है तैयारी

इसरो वर्तमान में गगनयान मिशन के लिए विभिन्न परीक्षण कर रहा है, जिसमें क्रू मॉड्यूल के ड्रॉप परीक्षण, उच्च ऊंचाई वाले ड्रॉप परीक्षण और पैड अवॉइड परीक्षण शामिल हैं, जहां क्रू एस्केप सिस्टम अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकाल देगा और सुरक्षित दूरी पर ले जाएगा।

राजराजन ने कहा, “हमारे पास एक परीक्षण वाहन परियोजना भी है जहां एक एल-40 इंजन, एक जीएसएलवी बूस्टर है, जिसे टॉप पर क्रू मॉड्यूल के साथ रखा किया जाएगा और चालू किया जाएगा। 1.1 मैक की विशेष गति से, 10 किलोमीटर की ऊंचाई पर हम इजेक्शन शुरू करेंगे और देखेंगे कि यह कैसे निरस्त होता है और चालक दल को सुरक्षित वापस लाता है। यह सब जांचने के बाद हम अपने GX और G1 मिशन के साथ आगे बढ़ेंगे”।

राजराजन ने मिशन के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं पर भी चर्चा की, जिसमें कक्षीय मॉड्यूल की तैयारी के लिए एक अलग सुविधा स्थापित की जा रही है। इसमें क्रू मॉड्यूल, सर्विस मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम शामिल हैं। यह कक्षीय मॉड्यूल तैयारी सुविधा सभी प्रणालियों की जांच और संयोजन के लिए जिम्मेदार होगी।

यात्रियों की स्वास्थ्य पर ध्यान कैसे रखेंगे

इसके अतिरिक्त, सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए असेंबली क्षेत्र में एक अतिरिक्त साफ कक्ष तैयार किया जा रहा है। एक अलग लॉन्च फिनिशिंग रूम बनाया जा रहा है। ये सभी सुविधाएं गगनयान नियंत्रण सुविधा से जुड़ी होंगी, जो यान, चालक दल मॉड्यूल और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी करेगी। उन्होंने कहा, “यह सब गगनयान नियंत्रण सुविधा में आएगा जहां हम वाहन, चालक दल मॉड्यूल और गगननॉट्स के स्वास्थ्य की निगरानी करेंगे। हम एलसीसी नामक एक पुरानी फर्स्ट लॉन्च व्हीकल सुविधा का नवीनीकरण कर रहे हैं।”

यान में कैसे गुजरेंगे यात्रियों के दिन

उन्होंने कहा कि क्रू मॉड्यूल को यात्रियों के लिए बेहतर बनाने के लिए अंदर का तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच रखा जाएगा। यात्रियों के पसीने से पानी का प्रबंधन किया जाएगा जो उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देगी और ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के अनुपात को बनाए रखेगी। अंतरिक्ष यात्रियों के सूट आपात स्थिति में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने, दबाव में रहने, ग्राउंड क्रू के साथ संचार की सुविधा प्रदान करने और थर्मल इन्सुलेशन प्रदान करने के लिए भी सुसज्जित होंगे।

ऐसी उम्मीद है कि इसरो अक्टूबर महीने में एल-40 इंजन का परीक्षण शुरू कर देगा।

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