भोपाल। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे ठीक पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कुछ पूर्व प्रचारकों ने बड़ा कदम उठाया है। इन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई है, जिसका नाम ‘जनहित पार्टी’ रखा है। ऐसे में ये पार्टी बीजेपी के साथ ही अन्य पार्टियों को हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनौती दे सकती है।

‘हिंदुत्व आधारित नई राजनितिक पार्टी’

नई पार्टी में RSS के कई पूर्व प्रचारक शामिल हैं, जिन्होंने 10 सितंबर को भोपाल में पार्टी का गठन किया। संघ के पूर्व प्रचारक अभय जैन ने इस पार्टी के गठन की शुरुआत की। इस पार्टी के गठन का मकसद देश की जनता को हिंदुत्व आधारित सौ फीसदी खरी राजनीतिक पार्टी का विकल्प देना बताया जा रहा है। 60 वर्षीय अभय जैन ने बताया कि भोपाल में इस उद्देश्य से की गई इस बैठक में आगामी रणनीति को लेकर मंथन किया गया। इसमें रीवा, भिंड और मालवा के सदस्य शामिल हुए। इसके अलावा झारखंड से भी कुछ लोग आए थे। उन्होंने बताया कि जनता की समस्या को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे। इसके अलावा मौजूदा समय में नाखुश और समान विचारधारा के लोगों को नई पार्टी से जोड़ा जाएगा।

विधानसभा चुनाव में खड़े करेंगे प्रत्याशी

जैन ने कहा कि हम आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी भी खड़ा करेंगे। जैन ने कहा, “हमने (संघ के कुछ पूर्व प्रचारकों ने) जनहित पार्टी का गठन किया है, क्योंकि अभी सारे राजनीतक दलों की राजनीतिक संस्कृति लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है और लोकतंत्र की कसौटी पर विफल रहे हैं।”

भोपाल में हुई बैठक में इसके पांच सूत्रीय एजेंडा तय किए गए हैं। इन्हीं पांच बिंदुओं के आधार पर जनहित पार्टी मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार को आगामी चुनाव में घेरेगी।

शिक्षा

हर बालक देश की पूंजी है, इसे संवारें। प्रतिभा अनुसार योग्यता पाना प्रत्येक का अधिकार है। शिक्षा समाज का दायित्व है। जन्म से मानव पशुवत पैदा होता है, शिक्षा और संस्कार से वह समाज का अभिन्न घटक बनता है। जो काम समाज के अपने हित में हो उसके लिए शुल्क दिया जाए, यह तो उल्टी बात है। पेड़ लगाने और सींचने के लिए हम पेड़ से पैसा नहीं लेते क्योंकि वह हमारी जिंदगी हैं। पैसे देकर शिक्षित होने वाला बचपन से ही व्यक्तिवादी बनता है और समाज की अवहेलना करता है। भारत में 1947 से पूर्व सभी देशी राज्यों में कहीं भी शिक्षा का शुल्क नहीं लिया जाता था, उच्चतम शिक्षा तक नि:शुल्क थी। गुरुकुलों में तो भोजन व रहने की व्यवस्था भी होती थी।

स्वास्थ्य

जन्मा हुआ हर नागरिक देश की संपति है, इनका जीवन बचाएं। चिकित्सा के लिए पैसा देना पड़े यह अचंभे की बात है। चिकित्सा भी निशुल्क होना चाहिए हमारे यहां पहले चिकित्सा के लिए भी पैसा नहीं लिया जाता था। आजकल तो कई मंदिरों में भी जाने के लिए पैसा देना पड़ता है।

दंडनीति

कहां जाएं लोग, पुलिस या न्यायालय। 70 प्रतिशत लोग अन्याय सहन करते है, कोर्ट क्यों नहीं जाते। न्यायालय से न्याय दिलाने की पहली जिम्मेदारी पुलिस की होती है, जिसपर भरोसा नहीं है, वकील महंगे हैं तथा न्यायलय में केसों का अंबार है। पेशी पर जाओ, तारीख बढ़ती रहती है। न तो क्षीणदंड होना चाहिए और न उग्रदण्ड होना चाहिए बल्कि मृदुदण्ड होना चाहिए। दंड से ही जनता को नियंत्रित करने से धर्म की हानि होती है।

अर्थव्यवस्था

प्रत्येक को काम अर्थव्यवस्था का सिद्धांत होना चाहिए। भुभुक्षिता किं न करोति पापम् – चाणक्य। भूखा आदमी कोई भी पाप कर सकता है। अर्थव्यवस्था में व्यक्ति।मनुष्य, श्रम और मशीन में समन्वय ही अर्थव्यवस्था का उद्देश्य है। धन के अधिकाधिक सम वितरण की आवश्यकता है। प्रत्येक को श्रम का अवसर देना सरकार का दायित्व है। आज एक ओर 10 वर्ष का बालक और 70 वर्ष का बूढ़ा काम में जुटा हुआ है और दूसरी ओर 25 वर्ष का नौजवान बेकारी से ऊबकर आत्महत्या कर रहा है। खाली मशीन केवल पूंजी खाती है परंतु मनुष्य बेकार हो तो प्रतिदिन खाना चाहिए ही यह तो विकेंद्रित अर्थव्यवस्था से ही संभव है।

जिम्मेदार कार्यपालिका

हम सरकार तो बदल सकते है, सरकारी काम का तरीका नहीं। राजा कालस्य कारणम् यानी परिस्थिति का दोषी शासक होता है।

जिम्मेदार कार्यपालिका सांसद या विधायिका कानून बनाती है कार्यपालिका यानी सरकार शासन तंत्र कानून नहीं बनती परंतु कानून के अनुसार देश चले यह जिम्मेदारी उसी पर होती है आज भी हम कह सकते हैं कार्यपालिका का लक्ष्य कारणम् अर्थात आज जो भी बुराइयां दिख रही हैं उसमें कार्यपालिका की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है अतः नेता को अपने आचरण का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

इस पार्टी के गठन में अभय जैन के अलावा मनीष काले, विशाल बिंदल मुख्य रूप से शामिल हैं। अभय जैन मध्य प्रदेश में प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। वे इंदौर नगर प्रचारक के साथ सिक्किम विभाग प्रचारक और प्रांत सेवा प्रमुख जैसे बड़े दायित्व पर रह चुके हैं। मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अभय जैन लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। वे देशभर के लोगों को इस नई विचारधारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

वहीं, मनीष काले आरएसएस के रीवा विभाग प्रचारक रह चुके हैं। ग्वालियर-चंबल के पूरे क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। वहां के लोगों को नई राजनीतिक पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। विशाल बिंदल भोपाल सायं बाग प्रचारक रह चुके हैं। वे इन दिनों झारखंड में सक्रिय हैं। वहां पर सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं। इनके अलावा डॉक्टर सुभाष बारोट भी शामिल हैं, जो पिछले 40 वर्षों से सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।