नई दिल्ली। लोकसभा में महिला आरक्षण बिल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित हो गया। इसके लिए हुई वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 454 और विपक्ष में 2 वोट पड़े।

128वां संविधान संशोधन विधेयक

संसद की नई इमारत में कार्यवाही मंगलवार से शुरू हुई। पहले दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पेश किया था। इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है।

क्या कहता है संशोधन ?

विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

ST-SC के लिए आरक्षित सीटों पर भी आरक्षण

लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं। इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं। महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते।