रायपुर। पाठ्य पुस्तक निगम में अर्से से होने वाले गोलमाल का एक हिस्सा यहां निगम को मिलने वाला लाभांश भी रहा है, जिसका इस्तेमाल चंद लोगों को लाभ दिलाते हुए कमीशनखोरी करना रह गया था। इस गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाये जाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लाभांश की रकम से जिला एवं ब्लॉक स्तर पर प्रतिभावान बच्चों को देश के जाने-माने संस्थानों से ऑनलाइन कोचिंग कराने का निर्देश दिया है।

पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा स्कूलों में कक्षावार पाठ्यक्रम के मुताबिक हर वर्ष किताबों की छपाई करके विद्यार्थियों को मुफ्त में दी जाती है। इस कार्य के लिए मिलने वाली रकम से एक बड़ी राशि लाभांश के रूप में बच जाती है। यह लगभग 15 करोड़ रूपये या उससे ज्यादा भी होती है। अब तक इस रकम का इस्तेमाल कुछ किताबों और अन्य सामग्रियों को छपाई में किया जाता रहा है। पहले तो स्कूल की किताबों की छपाई के लिए कागजों की खरीदी में बड़े पैमाने पर बंदरबांट की जाती है, इसके बाद जो लाभांश बचता है, उससे भी छपाई का काम करके संबंधितों को लाभ पहुंचाते हुए अपना भी उदर पोषण किया जाता है। मगर अब पाठ्य पुस्तक निगम के कर्ता-धर्ता इस तरह की बंदरबांट नहीं कर पाएंगे।

सीएम की घोषणा के बाद निकला टेंडर

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर घोषणा की थी कि “युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की अच्छी तैयारी कराने के लिए देश की ख्याति प्राप्त कोचिंग संस्थानों से ऑनलाइन कोचिंग की निःशुल्क व्यवस्था हम शीघ्र करने जा रहे हैं। इसके लिए प्रत्येक विकासखण्ड मुख्यालय में एक स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग की व्यवस्था की जाएगी।”

मुख्यमंत्री की इसी घोषणा के तहत पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा एक टेंडर निकाला गया है, जिसमें 11 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए “IIT-JEE(Mains & Advance) /PET & NEET Entrance Examination” की Online Interactive Coaching कराने की निविदा मंगाई गई है। कोटा में संचालित बड़े कोचिंग संस्थानों सहित देश के बड़े संस्थानों से यह निविदा मंगाई गई है।

दूरस्थ ग्रामीण अंचल के विद्यार्थी होंगे लाभान्वित

दरअसल प्रदेश के जिला मुख्यालयों में शासन द्वारा जिले भर से चयनित बच्चों के लिए फ्री कोचिंग का इंतजाम तो किया गया है मगर ग्रामीण स्तर के अधिकांश बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऑनलाइन कोचिंग की जो योजना बनाई गई है उसके तहत ब्लॉक और ग्राम स्तर पर जिन सरकारी स्कूलों में भी स्मार्ट क्लास बनाये गए हैं, वहां अध्ययनरत 11 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों को सीधे देश के ख्यातिलब्ध संस्थानों से कोचिंग मिल सकेगी। माना जा रहा है कि यह गावों के शासकीय विद्यालयों के छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा पिछले महीने ही यह टेंडर निकाला गया है और इसकी आखिरी तारीख 22 सितम्बर है। उम्मीद की जा रही है कि इस टेंडर के तहत किसी अच्छे संस्थान को यह काम दिया जायेगा और जल्द से जल्द कोचिंग का काम भी शुरू कर दिया जायेगा। इस तरह पाठ्य पुस्तक निगम में जिस लाभांश का हिस्सा फिजूल के कामों में ‘जाया’ हो जाया करता था, मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के चंद अधिकारियों की पहल पर इसका एक अच्छे कार्य के लिए सदुपयोग होने जा रहा है।

बड़े कोचिंग संस्थानों में पढ़ सकेंगे बच्चे

शासन के इस निर्देश के बाद, टेंडर के फाइनल होने के बाद छत्तीसगढ़ के बच्चों के एलेन, बंसल, आकाश जैसे कई नामी कोचिंग संस्थाओं में बच्चे पढ़ सकेंगे और आगे बढ़ सकेंगे। छत्तीसगढ़ के बच्चों को प्रतियोगी परिक्षा की तैयारी करने अब कोटा या दिल्ली जैसे शहरों में जाने की जरूरत नहीं है।

बताते चलें कि TRP न्यूज़ ने ही पाठ्य पुस्तक निगम के लाभांश के होने वाले दुरूपयोग का खुलासा किया था। इसके बाद इस रकम से जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में मदद करने की योजना बानी। बहरहाल इस योजना को क्रियान्वित करने वाले शासकीय अमले को यह भी प्रयास करना होगा कि होने जा रही ऑनलाइन कोचिंग का लाभ सही तरीके से गांवों के बच्चों को मिल सके।

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