0 राजस्थान में जारी हुई नई गाइडलाइंस

जयपुर। राज्य सरकार ने कोटा में लगातार हो रही कोचिंग स्टूडेंट्स की मौत के कारण और समाधान के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कोचिंग स्टूडेंट्स में तनाव कम करने और उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए गाइडलाइंस-2023 जारी की हैं। सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस-2023 में कोचिंग स्टूडेंट्स में बढ़ते तनाव, मानसिक दबाव और आत्महत्याओं के पीछे के कारणों का भी ज़िक्र किया गया है।

ये है नई गाइडलाइंस

इस गाइडलाइंस के मुताबिक़ अब कोचिंग संस्थान असेसमेंट टेस्ट का रिजल्ट सार्वजनिक नहीं करेंगे।
असेसमेंट टेस्ट का लगातार विश्लेषण करते हुए कम नंबर वाले स्टूडेंट्स की विशेष काउंसलिंग करें।
कोचिंग संचालक, हॉस्टल या पीजी संचालक, कोचिंग संस्थान स्टूडेंट्स को 9वीं कक्षा से पहले कोचिंग में प्रवेश लेने को प्रोत्साहित नहीं करें।
वर्तमान में कोचिंग कर रहे स्टूडेंट्स कोचिंग छोड़ना चाहें तो उन्हें बाक़ी फीस लौटाएं।
स्टूडेंट्स को कोचिंग में एडमिशन से पहले स्क्रीनिंग टेस्ट से उनकी क्षमता का आंकलन करें।
ऑरिएंटेशन और काउंसलिंग के ज़रिए स्टूडेंट की अभिरुचि का आंकलन करने के बाद एडमिशन दें।
अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जाए. कोचिंग में असेसमेंट टेस्ट के परिणाम के आधार पर बैच नहीं बनाएं।
कोचिंग क्लास के दौरान फ़िजिकल एनवायरमेंट का विशेष ध्यान रखा जाए।
कोचिंग संस्थान अपने संचालकों, स्टाफ, फैकल्टी की गेटकीपर ट्रेनिंग ज़रूर कराएं।
तीन महीने में एक बार ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से पैरेंट-टीचर मीटिंग करें और उसका रिकॉर्ड रखा जाए।
कोचिंग संस्थान सप्ताह में एक दिन का पूर्ण अवकाश रखें। अवकाश के अगले दिन टेस्ट नहीं लें।
लोकप्रिय त्योहारों पर लंबे अवकाश की व्यवस्था को कस्टमाइज किया जाए, जिससे स्टूडेंट्स अपने परिवार के साथ भावनात्मक रूप से मज़बूत बन सकें।
स्टूडेंट्स की 45 दिन, 90 दिन और 120 दिन पर तीन काउंसलिंग करें। इस दौरान यदि स्टूडेंट की परफॉर्मेंस में सुधार नहीं नज़र आता है तो पैरेंट को बुलाकर कैरियर ऑप्शन्स बताएं।
कोचिंग संस्थान में टेली मानस के टोल फ्री नंबर डिस्पले करें और बैग, आईकार्ड, पैन, बुक पर भी यह नंबर लिखे जाएं।
स्टूडेंट्स के साथ भेदभाव नहीं करने और स्टूडेंट्स को एसे व्यक्तियों के बारे में बताएं जिन्होंने कोचिंग में असफलता के बावजूद अन्य क्षेत्रों में सफ़लता हासिल की हो।
हॉस्टल और पीजी संचालकों को क्षमता से अधिक बच्चे नहीं रखें. पीजी छोड़ने पर बाक़ी शुल्क वापस किया जाए।
सीसीटीवी लगाए जाएं और उसका डेटा सुरक्षित रखा जाए।
गाइडलाइंस में कोचिंग स्टूडेंट्स को सहूलियत के लिए पुलिस-प्रशासन को भी निर्देशित किया गया है।

सरकार ने गठित की थी हाई पावर कमेटी

कोचिंग स्टूडेंट्स की मौत पर चिंता ज़ाहिर करते हुए 18 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोचिंग संचालकों के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद स्टूडेंट्स के मौत के कारण को जानने और समाधान के लिए 24 अगस्त को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के प्रमुख शासन सचिव भवानी सिंह देथा के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की गई।

कमेटी ने कोचिंग संचालकों, हॉस्टल और पीजी संचालकों, स्टूडेंट्स, अभिभावकों, शिक्षाविदों, मनोवैज्ञानिक सलाहकारों समेत पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा कर सुझाव लिए थे। 19 सितंबर को कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी, जिसे स्वीकार कर नई गाइडलाइंस जारी की गई है।

जानिए, इन आत्महत्याओं के पीछे की वजह

सरकार की ओर से गठित कमेटी ने स्टूडेंट्स की लगातार हो रही मौत के कारणों को भी चिह्नित किया है।

गाइडलाइंस के अनुसार कोचिंग टेस्ट में ज़्यादा कॉम्पटीशन, सिलेबस एवं टेस्ट पेपर का अधिक कठिन होने से स्टूडेंट्स में मानसिक तनाव और निराशा।

स्टूडेंट्स की योग्यता, रुचि और क्षमता से अधिक पढ़ाई का बोझ और अभिभावकों की ज़्यादा उम्मीदें. टीन एज में व्यवहारात्मक परिवर्तन, परिवार से दूरी।

कोचिंग संस्थानों का बिज़ी शेड्यूल और छुट्टियों के अभाव को भी प्रमुख कारण माना गया है। कोचिंग हब कोटा में साल 2023 में अब तक 26 स्टूडेंट्स की मौत हो चुकी है।