रेस्क्यू से बच सकती थी हाती के बच्चे की जान

रायगढ़ । हाथियों की सुरक्षा के वन विभाग की तमाम योजनाएं केवल कागजी साबित हो रहे् है। ताचा मामला गोमर्डा अभयारण्य में सीता तालाब के दलदल में फंसकर लगभग पांच माह के हाथी के बच्चे की मौत हो गई। हाथी के बच्चे की मौत से वन विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे हैं। प्रकरण में विभाग आगे की कार्रवाई की में जुट गई है।

वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गोमार्डा अभयारण्य क्षेत्र में लगभग 24 हाथी का दल विचरण कर रहा है। हाथियों का यह दल सीता तालाब के पास कक्ष क्रमांक 912 पीएफ में भी देखा गया। बुधवार को हाथी के एक बच्चे का शव कीचड़ में फंसा देखा गया। आशंका है कि हाथी का बच्चा कीचड़ से निकलने की कोशिश करता रहा होगा लेकिन निकलने में असमर्थ होने पर उसकी मौत हो गई। उसकी उम्र लगभग पांच माह होने का अनुमान है।

जंगली हाथियों के ट्रेकिंग में लगे स्थानीय ग्रामीणों ने घटना की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी। इसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने मृत हाथी के शव का पोस्टमार्टम कराकर विधिवत कार्रवाई की। गोमर्डा अभयारण्य घने जंगलों से गिरा हुआ है। यहां वन्यप्राणियों की विविधता है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से हाथियों के दल का अभयारण्य क्षेत्र में मौजूदगी देखी जा रही है।

जंगल की निगरानी कागजों में

हाथियों की मौजूदगी को देखते हुए सारंगढ़ वन मंडल के सभी अधिकारी व वनकर्मी अलर्ट मोड़ लर रहने के निर्देश दिए। हाथियों व अन्य वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए निर्देशित किया है। ऐसे में हाथी ट्रेकरो द्वारा लगातार हाथियों के दल पर निगरानी केवल कागजों में सीमित है। इसकी पुष्टि उक्त बच्चे की मौत प्रकरण से नजर आ रही हैं।

-सीता तालाब के पास कक्ष क्रमांक 912 में एक हाथी का बच्चा कीचड़ में फंस गया था। इसके बाद वह निकलने में असमर्थ रहा। संभवतः इससे उसकी मृत्यु हुई है। शिकार की कोई संभावना नहीं है। पीएम रिपोर्ट के बाद मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा। लगातार हाथी दल की निगरानी की जा रही है। ट्रेकिंग अगर होती तो सम्भवत जिससे हाथी के बच्चे की जान बच जाती।

-कृष्ण चंद्रकार, अधीक्षक, गोमार्डा अभयारण्य।

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